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Showing posts from June, 2017

महापंडित आचार्य रावण की महानता

महापंडित आचार्य रावण की महानता महापंडित लंकाधीश रावण रामेश्वरम में शिव लिंग की स्थापना के समय पुरोहित कैसे बना ।  बाल्मीकि रामायण और तुलसीकतृ रामायण में इस कथा का वर्ण...

पूजा में प्रयोग होने वाले कुछ शब्द और उनका अर्थ ?

पूजा में प्रयोग होने वाले कुछ शब्द और उनका अर्थ ? 1. पंचोपचार – गन्ध , पुष्प , धूप , दीप तथा नैवैध्य द्वारा पूजन करने को ‘पंचोपचार’ कहते हैं | 2. पंचामृत – दूध , दही , घृत , मधु { शहद ] तथा शक्...

डाइबिटीज और कोलेस्ट्रोल को भगाए घर का धनिया

सुभाषितम् :- अष्टावक्र गीता - पंचदश अध्याय :- विश्वं स्फुरति यत्रेदं तरंगा इव सागरे। तत्त्वमेव न सन्देह श्चिन्मूर्ते विज्वरो भव॥१५- ७॥ अर्थात :- इस विश्व की उत्पत्ति तुमसे उसी प्रकार होती है जैसे कि समुद्र से लहरों की, इसमें संदेह नहीं है। तुम चैतन्य स्वरुप हो, अतः चिंता रहित हो जाओ॥७॥  आरोग्यं :-   डाइबिटीज और कोलेस्ट्रोल को भगाए घर का धनिया   हमारे यहां भोजन को रूचिकर बनाने के लिए उसमें कई तरह के मासाले मिलाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है धनिया। क्या आपको पता है कि हरी धनिया में प्रोटीन, वसा, फाइबर कार्बोहाइड्रेट, खनिज पदार्थ, जैसे- कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थियामीन, पोटोशियम और विटामिन सी जैसे तत्व पाये जाते हैं। ये खाने को तो स्वादिष्ट बनाती है और पाचन शक्ति को दुरूस्त कर देती है। धनिया को दही में मिलाकर पीने से बदहजमी,पेचिश और कोलाइटिस में आराम मिलता है। धनिया, टाइफाइइड में भी उपयोगी है। यही नहीं धनिया कोलेस्ट्राल को भी संयमित करता है। आंखों के लिए धनिया आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उ...

माता सीता के वनवास का रहस्य

एक बार सीताजी अपनी सखियों के साथ मनोरंजन के लिए महल के बाग में गईं ; उन्हें पेड़ पर बैठे तोते का एक जोड़ा दिखाई दिया । दोनों तोते आपस में सीता के बारे में बात कर रहे थे. एक ने कहा-अयोध्या में एक सुंदर और प्रतापी कुमार हैं जिनका नाम श्रीरामजी है. उनसे जानकी का विवाह होगा. श्रीरामजी ग्यारह हजार वर्षों तक इस धरती पर शासन करेंगए, सीता-राम एक दूसरे के जीवन साथी की तरह इस धरती पर सुख से जीवन बिताएंगे । सीता ने अपना नाम सुना तो दोनों पक्षी की बात गौर से सुनने लगीं, उन्हें अपने जीवन के बारे में और बातें सुनने की इच्छा हुई, सखियों से कहकर उन्होंने दोनों पक्षी पकड़वा लिए, सीता ने उन्हें प्यार से पुचकारा और कहा- डरो मत  तुम बड़ी अच्छी बातें करते हो, यह बताओ ये ज्ञान तुम्हें कहां से मिला, मुझसे भयभीत होने की जरूरत नहीं है । दोनों तोते का डर समाप्त हुआ, वे समझ गए कि यह स्वयं सीता हैं, दोनों ने बताया कि वाल्मिकी नाम के एक महर्षि हैं, वे दोनों उनके आश्रम में ही रहते हैं, वाल्मिकी रोज राम-सीता ( राम्य चरित्र ) के जीवन की चर्चा करते हैं, वे यह सब हम सुना करते हैं और सारी कथा कंठस्थ हो गयी...

किस समस्या के लिए कौन से मंत्र

जानें किस समस्या के लिए कौन से मंत्र शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इसके जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के पश्चात तक करना चाहिए। मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए। इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए। मंत्र जप तेज आवाज में नहीं करना चाहिए। गायत्री मंत्र का अर्थ : सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें। अथवा उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें। इस मंत्र के नियमित जाप...

कौन से ऋषि का क्या है महत्व

कौन से ऋषि का क्या है महत्व - अंगिरा ऋषि ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। विश्वामित्र ऋषि गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही। वशिष्ठ ऋषि ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं। कश्यप ऋषि मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की १३ कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई। जमदग्नि ऋषि भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के १६ मंत्रों की रचना की है। केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे। अत्रि ऋषि सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल क...