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Showing posts from September, 2019

कष्टों से मुक्ति एवं धन प्राप्ति के उपाय

*कष्टों से मुक्ति एवं धन प्राप्ति के उपाय* *१__ गाय को प्रतिदिन तेल लगाकर रोटियां अवश्य खिलाएं प्रत्येक बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाएं इससे आपके धन आने के रास्ते में जो बाधाएं हैं वह दूर हो जाएंगे* *२__ प्रतिदिन अपने माता-पिता का आशीर्वाद लें एवं घर के बड़े बुजुर्गों की सेवा करें उन को प्रसन्न रखें और उनका आशीर्वाद लें* *३__ सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय 48 मिनट के अंदर एक माला गायत्री मंत्र का जाप करें एवं दीपक जलाएं सभी कष्टों से छुटकारा मिलेगा* *४__ अपने जन्मदिन पर रुद्राभिषेक करवाएं ,अपने जन्म नक्षत्र का उपाय करके घर से बाहर निकलने से आपको सभी कामों में सफलता मिलेगी* *५__ एक तांबे का सिक्का लंबी यात्रा के दौरान बहते हुए जल में प्रवाहित करें ,कहीं घर से बाहर जाना हो काम के सिलसिले में तो घर के बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करके चरण स्पर्श करके घर से बाहर निकलें उनका आशीर्वाद लेकर* *६__ किसी विशेष काम से घर से निकलना हो तो हींग हाथ में लेकर अपने ऊपर से उतारकर उत्तर दिशा में फेंक दें फिर घर से बाहर जाएं आपका कार्य सिद्ध हो जाएगा* *७__ यात्रा के समय एक लाल धागा अपने पास अवश्य रखें ...

भारतवर्ष में मॉडर्न Caste सिस्टम

#मॉडर्न_कास्ट_सिस्टम : भारतवर्ष में मॉडर्न Caste सिस्टम का कोई ऐतिहासिक इतिहास और लेखन 1901 के पहले नहीं मिलता , हाँ वर्ण व्यवस्था अवश्य थी अंग्रेजों के शाशन काल में Caste सिस्टम एक आयातित सोच और फलसफा है। आज जो लोग भी आधुनिक लेखक है उनको Caste सिस्टम और वर्ण व्यवस्था में कोई अंतर हैं शायद उससे अवगत नहीं है। भारतवर्ष कि प्राचीनतम और आज तक चलने वाली मूल भाषा संस्कृत है। संस्कृत ग्रंथों में जाति शब्द का कोई उल्लेख नहीं ह , लेकिन अमरकोश के अनुसार जाति शब्द का अर्थ कुछ वन औसधि और सामान्य जन्म भर है । लेकिन क्या सामान्य जन्म से आधुनिक जाति व्यवस्था की व्याख्या संभव है ? अगड़ी पिछड़ी , ऊंची नीची जाति किस भारतीय ग्रंथ से उद्धृत है ? मनुस्मृति से ? जरा प्रमाण दिखाएँ। अगर आज आप कहीं किसी शिक्षा संस्थान मे दाखिला लेते है , या किसी नौकरी के लिए आवेदन देते हैं , तो आप से पूंछा जाता है - आपकी जाति क्या है ? आप लिखते है सामान्य जाति - ब्रामहन क्षत्रिय वैश्य।लेकिन भारतीय ग्रन्थों और परंपरा के अनुसार ये तो वर्ण हुवा करते थे।तो आज जाति कैसे हैं ? कोई व्यतिक्रम , कोई शाजिश , कोई छेडखानी नहीं दिखती...

स्यमन्तक मणि कथा (शुक्ल चौथ चंद्रमा दोष) कलंक चतुर्थी

स्यमन्तक मणि कथा जाम्बवती और सत्यभामा के साथ श्रीकृष्ण का विवाह श्री शुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित ! सत्राजित ने श्रीकृष्ण को झूठा कलंक लगाया था। फिर उस अपराध का मार्जन करने के लिए उसने स्वयं स्यमन्तक मणि सहित अपनी कन्या सत्याभामा भगवान श्रीकृष्ण को सौंप दी। राजा परीक्षित ने पूछाः भगवन् ! सत्राजित ने भगवान श्रीकृष्ण का क्या अपराध किया था ? उसे स्यमंतक मणि कहाँ से मिली ? और उसने अपनी कन्या उन्हें क्यों दी ? श्रीशुकदेव जी ने कहाः परीक्षित ! सत्राजित भगवान सूर्य का बहुत बड़ा भक्त था। वे उसकी भक्ती से प्रसन्न होकर उसके बहुत बड़े मित्र बन गये थे। सूर्य भगवान ने ही प्रसन्न होकर बड़े प्रेम से उसे स्यमंतक मणि दी थी। सत्राजित उस मणि को गले में धारण कर ऐसा चमकने लगा, मानो स्वयं सूर्य ही हो। परीक्षित ! जब सत्राजित द्वारका आया, तब अत्यन्त तेजस्विता के कारण लोग उसे पहचान न सके। दूर से ही उसे देखकर लोगों की आँखें उसके तेज से चौंधिया गईं। लोगों ने समझा कि कदाचित स्वयं भगवान सूर्य आ रहे हैं। उन लोगों ने भगवान के पास आकर उन्हें इस बात की सूचना दी। उस समय भगवान चौसर खेल रहे थे। लोगों ने कहाः 'शंख-...

भगवान राम व सूर्यवंशी कुल की व्याख्या

भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा का नाम पहले शूरसेन था। लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया। राम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या राज्य सौंपा तो लव को पंजाब दिया। लव ने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया। आज के तक्षशिला मेँ तब भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती (पेशावर) मेँ पुष्कर सिंहासनारुढ़ थे। हिमाचल में लक्ष्मण पुत्रों अंगद का अंगदपुर और चंद्रकेतु का चंद्रावती में शासन था। मथुरा में शत्रुघ्‍न के पुत्र सुबाहु का तथा दूसरे पुत्र शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में शासन था। राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश क...

सनातन धर्म को समझ पाना इतना सरल नहीं

सनातन धर्म को समझ पाना इतना ही आसान होता तो काहें को दुनिया की ऐसी हाल होती :-? आधे घंटे में बन गया था झील में श्रीयंत्र, US ने बताया एलियन अजूबा:: 10 अगस्त 1990 को इहाडो एयर नेशनल गार्ड का पायलट बिल मिलर अपनी ट्रेनिंग उड़ान पर जा रहा था कि अचानक ही उसे ओरेगान में एक सूखी झील पर आकृति दिखी। यह आकृति करीबन चौथाई मील लंबी-चौड़ी वर्गाकार शेप की थी और जमीन में लगभग 3 इंच गहरी थी। इस आकृति की सबसे बड़ी खास बात यह थी कि कुछ ही देर पहले जब वो इस रास्ते से उड़ रहा था तो वहां ऐसी कोई चीज नहीं थी और न ही पहले के किसी पायलट ने इसे नोटिस किया था। बिल ने इसकी रिपोर्ट तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दी जिन्होंने इसे एक राज बनाकर रखा। काफी बाद में 12 सितंबर 1990 को प्रेस में इसके बारे में खबर छपी तब लोगों ने बताया कि यह हिंदू धर्म में पूजा होने वाला श्रीयंत्र है। धीरे-धीरे यह घटना जल्दी ही पूरे अमरीका में वायरल हो गई परन्तु यह कोई भी नहीं बता पाया कि इतनी बड़ी आकृति इतने सटीक ढंग से कैसे अपने आप बनी। शहर के प्रख्यात आर्किटेक्टस तथा इंजीनियर्स ने भी कहा कि श्रीयंत्र को सादे कागज पर बनाना ही इतना जटि...

आयुर्वेदिक दोहे

❄ *आयुर्वेद दोहे * ❄ 💧💧💧💧💧💧💧💧💧 पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात! सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!! *धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!* दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चा...

केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे, क्या कारण था ?

जानिए रामायण का एक अनजान सत्य ...🏹🏹👏 केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे.. क्या कारण था ?      हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है। लक्ष्मणजी की भक्ति भ...

#भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ?

क्या आप जानते हैं #गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ? #भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद 1858 में Indian Education Act बनाया गया इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकोले’ ने क...