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Showing posts from October, 2020

ढाई अक्षर का रहस्य __मनुज देव भारद्वाज धर्माचार्य मुम्बई

*ढाई अक्षर की महिमा व रहस्य पर  विचरशील पा :* ढाई अक्षर का वक्र, और ढाई अक्षर का तुंड। ढाई अक्षर की रिद्धि, और ढाई अक्षर की सिद्धि। ढाई अक्षर का शंभु, और ढाई अक्षर की सत्ति ढाई अक्षर का ब्रम्हा और ढाई अक्षर की सृष्टि। ढाई अक्षर का विष्णु और ढाई अक्षर की लक्ष्मी ढाई अक्षर का कृष्ण और ढाई अक्षर की कांता।(राधा रानी का दूसरा नाम) ढाई अक्षर की दुर्गा और ढाई अक्षर की शक्ति ढाई अक्षर की श्रद्धा और ढाई अक्षर की भक्ति ढाई अक्षर का त्याग और ढाई अक्षर का ध्यान। ढाई अक्षर की तृप्ति और ढाई अक्षर की तृष्णा। ढाई अक्षर का धर्म और ढाई अक्षर का कर्म ढाई अक्षर का भाग्य और ढाई अक्षर की व्यथा। ढाई अक्षर का ग्रन्थ, और ढाई अक्षर का संत। ढाई अक्षर का शब्द और ढाई अक्षर का अर्थ। ढाई अक्षर का सत्य और ढाई अक्षर का मिथ्या। ढाई अक्षर की श्रुति और ढाई अक्षर की ध्वनि। ढाई अक्षर की अग्नि और ढाई अक्षर का कुंड ढाई अक्षर का मंत्र और ढाई अक्षर का यंत्र। ढाई अक्षर की सांस और ढाई अक्षर के प्राण ढाई अक्षर का जन्म ढाई अक्षर की मृत्यु ढाई अक्षर की अस्थि और ढाई अक्षर की अर्थी ढाई अक्षर का प्यार और ढाई अक्षर का स्वार्थ। ढाई ...

श्री राम और राममन्त्र

श्री राम और राममन्त्र  〰️〰️🌼🌼〰️〰️ तात्पर्य- 〰️〰️ वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेका नेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य  रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष्यों में प्रतिष्ठित करने के लिए दशरथी राम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ है।  कबीरदास जी ने कहा है –  आत्मा और राम एक है- ' आतम राम अवर नहिं दूजा।' राम नाम कबीर का बीज मंत्र है। राम नाम को उन्होंने अजपा जाप कहा है। राम शब्द का अर्थ है  〰️〰️〰️〰️〰️〰️  'रमंति इति रामः'  जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वही राम हैं।  इसी तरह कहा गया है –  'रमन्ते योगिनो यस्मिन स रामः'   अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं वही राम हैं।  इसी तरह ब्रह्मवैवर्त पुराण  में कहा गया है – ' राम शब्दो विश्ववचनो, मश्वापीश्वर वाचकः' अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है। चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या दाशरथि राम हो, विशिष्ट तथ्य यह है कि राम शब्द एक महामंत्र है।  राम मन्त्र का अर्थ 〰️〰️...

हिन्दू धर्म में 7 का अंक

हिन्दू धर्म में 7 का अंक 〰️〰️🌸〰️🌸〰️〰️ संख्या सात सांसारिक सतह का एक प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। हिंदू धर्मग्रंथ यह घोषित करते हैं कि हमारी पृथ्वी है, लेकिन अस्तित्व के कई सतहों की श्रृंखला में एक है, कुछ उच्च क्षेत्रों से संबंधित हैं और कुछ निम्न से। सभी में कहा जाता है कि 14 सतह या दुनिया हैं जिनमें से छह पृथ्वी से ऊपर हैं और सात पृथ्वी से नीचे हैं। 14 वें से ऊपर सबसे अधिक और अज्ञात या शून्य सतह है। अगर हम इसे शामिल करते हैं तो सभी में 15 सतह हैं। हमारे ग्रह को ऊपर सात (शून्य तल सहित) और सात नीचे के साथ माना जाता है। अस्तित्व के विभिन्न सतहों के बारे में हमारा वर्तमान ज्ञान हिंदू काल में विकसित हुआ है। चंद्रयोग उपनिषद में और गायत्री मंत्र के लघु संस्करण में भी हम केवल तीन भाषाओं का संदर्भ पाते हैं: पृथ्वी (भुर या भुलोक) नश्वर प्राणियों द्वारा बसाई गई, आकाश की मध्य दुनिया (भुवर्लोक) आकाशीय प्राणियों का निवास है, और आकाश के स्वर्गीय संसार (सुआ, स्वरा या स्वारग्लोक) में इंद्र द्वारा शासित देव या देवताओं का निवास था। यह हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान का सबसे पारंपरिक दृष्टिकोण है जो हम वैदिक ...