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Showing posts from April, 2021

हिन्दू धर्म में संख्याओं के माध्यम से ज्ञान

हिन्दू धर्म में कुछ संख्याओं का विशेष महत्व एक ओम्कार् 👉  ॐ दो लिंग👉  नर और नारी । दो पक्ष👉  शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दो पूजा👉  वैदिकी और तांत्रिकी। दो अयन 👉  उत्तरायन और दक्षिणायन। तीन देव👉 ब्रह्मा, विष्णु, शंकर। तीन देवियाँ👉  सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती। तीन लोक 👉  पृथ्वी, आकाश, पाताल। तीन गुण👉  सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण। तीन स्थिति👉  ठोस, द्रव, गैस। तीन स्तर👉 प्रारंभ, मध्य, अंत। तीन पड़ाव👉  बचपन, जवानी, बुढ़ापा। तीन रचनाएँ 👉 देव, दानव, मानव। तीन अवस्था👉 जागृत, मृत, बेहोशी। तीन काल👉  भूत, भविष्य, वर्तमान। तीन नाड़ी👉  इडा, पिंगला, सुषुम्ना। तीन संध्या👉  प्रात:, मध्याह्न, सायं। तीन शक्ति👉  इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति। चार धाम👉  बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका। चार मुनि👉  सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार। चार वर्ण👉  ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। चार निति👉 साम, दाम, दंड, भेद। चार वेद👉  सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद। चार स्त्री👉  ...

महादेव-पार्वती संग झूमे

रावण के वध के बाद अयोध्या पति श्री राम ने राजपाट संभाल लिया था और प्रजा राम राज्य से प्रसन्न थी. एक दिन भगवान महादेव की इच्छा श्री राम से मिलने की हुई। पार्वती जी को संग लेकर महादेव कैलाश पर्वत से अयोध्या नगरी के लिए चल पड़े. भगवान शिव और मां पार्वती को अयोध्या आया देखकर श्री सीता राम जी बहुत खुश हुए। माता जानकी ने उनका उचित आदर सत्कार किया और स्वयं भोजन बनाने के लिए रसोई में चली गईं. भगवान शिव ने श्री राम से पूछा- हनुमान जी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं, कहां हैं ? श्री राम बोले- वह बगीचे में होंगे. शिव जी ने श्री राम जी से बगीचे में जाने की अनुमति मांगी और पार्वती जी के साथ बगीचे में आ गए. बगीचे की खूबसूरती देखकर उनका मन मोहित हो गया। आम के एक घने वृक्ष के नीचे हनुमान जी दीन-दुनिया से बेखबर गहरी नींद में सोए थे और एक लय में खर्राटों से राम नाम की ध्वनि उठ रही थी. चकित होकर शिव जी और माता पार्वती एक दूसरे की ओर देखने लगे। माता पार्वती मुस्करा उठी और वृक्ष की डालियों की ओर इशारा किया. राम नाम सुनकर पेड़ की डालियां भी झूम रही थीं. उनके बीच से भी राम नाम उच्चारित हो रहा था। शिव जी इस राम नाम की...

पुरूषोत्तमयोग

🕉️🚩पुरूषोत्तमयोग 🚩🕉️ 🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️ 🕉️🚩इंसान बहुत ही अद्भुत है, शक्तिशाली है उसकी सदैव ही स्वयं को जानने की इच्छा रही है। आज से लगभग 5,150 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान आपका आपसे परिचय करवाने में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान देगा। 🕉️🚩कहा जाता है कि मात्र 45 मिनट में ही यह गूढ ज्ञान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को बता दिया गया था परन्तु आज भी इसकी व्याख्या होती आ रही है, यह अत्यन्त अद्भुत वाणी है। हर बार पढने के बाद कुछ नया भाव अनुभव होता है। पिछले अध्याय में हमने गुणत्रयविभाग की बात की थी। आज जिस अध्याय के बारे में बताएंगे वह अत्यन्त विशिष्ट है। इसका नाम है ’’पुरूषोत्तम योग’’। 🕉️🚩इस अध्याय में मुख्य रूप से चार बातें की गई हैं। सबसे पहला प्रश्न है कि संसार और वैराग्य क्या है? जीवात्मा और ज्ञान क्या है? परमात्मा और भगवान का क्या मतलब है? पुरूष और पुरूषोत्तम क्या है? श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन! इस समस्त संसार को तू पीपल के वृक्ष के समान जान। परंतु यह वृक्ष बडा अद्भुत है क्योंकि इसकी जडें ऊपर है और शाखाएँ नीचे की ओर हैं। शाखाओं को तू...

केरल का पिसरिक्कल भगवथी मंदिर, जहां दवा के रूप में लिया जाता है प्रसाद

🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️ केरल का पिसरिक्कल भगवथी मंदिर, जहां दवा के रूप में लिया जाता है प्रसाद 🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️🚩🕉️ 🕉️🚩केरल के चालकुडी में मौजूद पिसरिक्कल भगवथी मंदिर करीब हजार साल पुराना है। ये तीर्थ केरल के 108 दुर्गा मंदिरों की सूची में शामिल है। इस मंदिर में वानदुर्गा और भगवती की दो मुख्य मूर्तियां शामिल हैं। 🕉️🚩आमतौर पर सभी भक्त इन्हें भद्रकाली अम्मन कहते हैं। ये मंदिर पूरी तरह से दैवीय आभा से हर जगह से घिरा हुआ है। पहाड़ी से गिरते झरने के नीचे रखी देवी दुर्गा की मूर्ति को देखकर लगता है कि प्रकृति, देवी का जलाभिषेक कर रही हो। शक्ति के इस मंदिर में भक्त समृद्धि, सेहत, ज्ञान और शांति की इच्छा से यहां आते हैं। 🕉️🚩नवरात्रि पर होती है विशेष पूजा 🕉️🚩मुख्य मूर्ति के हाथ में शंख और चक्र है। अम्मन की प्रतिमा के अलावा, यहां भगवान शिव और गणपति की मूर्ति भी स्थापित है। मार्च-अप्रैल के दौरान यहां सालाना त्योहार मीनम भव्य तरीके से मनाया जाता है। त्योहार के आठवें दिन लड़कियां तेल के दीपक, फूल और हल्दी से देवी की पूजा करती हैं। इसके अलवा यहां नवरात्रि के मौके पर विशेष ...