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Showing posts from December, 2018

हिंदू धर्म की वैज्ञानिकता

चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्मा...

हिन्दू धर्म के पतन के कारण और निवारण

हिन्दू धर्म के पतन के कारण और निवारण :- ध्यान से पढ़ें, समझें और जीवन में उतारें | क्योंकि जो गलती को ठीक करले उसे ही मनुष्य कहते हैं | हिन्दुओं के सभी प्रमुख गुणों को मुसलमान, ईसाई और बौद्धों ने अपनाया और संसार में छा गए और हिन्दू इन्हें त्याग कर बर्बाद होने की कगार पर हैं | 1) हम यज्ञोपवीत, उपनयन या जनेऊ करवा कर सात से ग्यारह वर्ष के बच्चों को गुरुकुल भेजते थे. . अब बंद है | दूसरी तरफ मुसलमान और ईसाई नियम से मदरसा व् मिशन स्कूल में पहले धर्म की शिक्षा देते हैं | मदरसे, मिशनरी स्कूल हजारों लाखों की संख्या में खुल गए | हिन्दूओं के बच्चे भी उसी में शौक से जा रहे हैं और सेकुलरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है | 2) प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी के लिए अनिवार्य गायत्री महामंत्र की त्रिकाल संध्या (सुबह, दोपहर, शाम तीनों समय जप-ध्यान) समाप्त | दूसरी तरफ उनकी पाँच वक्त की नमाज और रोज की प्रेयर शुरू | 3) सप्ताह में कम से कम एक दिन, पूजा, सत्संग, संगठन के लिए मंदिर जाना बंद | दूसरी तरफ उनका जुमे के दिन नमाज मस्जिद में, और Sunday prayer चर्च में शुरू | 4) साधू-संत-गुरु जनों का आदर बंद (ह...

ज्ञान शास्त्रार्थ

ऐसी कौन सी वस्तु है जिसके होने के पश्चात भी दुख नहीं होता? क्रोध ऐसी कौन सी वस्तु है जिसके खोने के पश्चात मनुष्य धनी हो जाता है? लोभ विद्वान कौन है? जो शर्मा के होते हुए भी करूं...

ज्ञान मंथन

ज्ञान मंथन 📖 चार वेद है 1] ऋग्वेद 2] सामवेद 3] अथर्ववेद 4] यजुर्वेद ************************************* 📜 6 शास्त्र 1] वेदांग 2] सांख्य 3] निरूक्त 4] व्याकरण 5] योग 6] छंद ************************************* ⛲ 7 नदियां 1] गंगा 2] यमुना 3] गोदावरी 4] सरस्वती 5] नर...

ऋषि भारद्वाज का परिचय

भरद्वाज  प्राचीन भारतीय ऋषि थे।  चरक संहिता  के अनुसार भरद्वाज ने इन्द्र से आयुर्वेद  का ज्ञान पाया। ऋक्तंत्र के अनुसार वे ब्रह्मा, बृहस्पति एवं इन्द्र के बाद वे चौथे व्...

भरद्वाज-भारद्वाज वंश/गोत्र परिचय __मनुज देव भारद्वाज धर्माचार्य मुम्बई

भरद्वाज ऋषि ऋग्वेद के छठे मंडल के दृष्टा जिन्होंने 765 मंत्र लिखे हैं। वैदिक ऋषियों में भरद्वाज ऋषि का अति उच्च स्थान है। ऋषि भरद्वाज के वंशज भारद्वाज कहलाते है अंगिरा वंशी भरद्वाज के पिता - बृहस्पति और माता ममता थीं। बृहस्पति ऋषि - अंगिरा के पुत्र होने के कारण ये वंश अंगिरा वंश भी कहलाया जा सकता है। ऋषि भरद्वाज ने अनेक ग्रंथों की रचना की उनमें से यंत्र सर्वस्व और विमानशास्त्र की आज भी चर्चा होती है। चरक ऋषि ने भरद्वाज को 'अपरिमित' कहा है। भरद्वाज ऋषि चंद्रवंशी काशी राज दिवोदास के पुरोहित थे। वे दिवोदास के पुत्र प्रतर्दन के भी पुरोहित थे और फिर प्रतर्दन के पुत्र क्षत्र का भी उन्हीं ने यज्ञ संपन्न कराया था। वनवास के समय प्रभु श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का संधिकाल था। ऋषि भरद्वाज के प्रमुख पुत्रों के नाम हैं- ऋजिष्वा, गर्ग, नर, पायु, वसु, शास, शिराम्बिठ, शुनहोत्र, सप्रथ और सुहोत्र। उनकी 2 पुत्रियां थी रात्रि और कशिपा। इस प्रकार ऋषि भारद्वाज की 12 संतानें थीं। सभी के नाम से अलग-अलग वंश चले। भरद्वाज गोत्र की वंशावली में अधिकतर उत्तर भारत के ...

मनुष्य जन्म का सार

धर्मे रागः श्रुतो चिंता दाने व्यसनमुत्तमम । इन्द्रियार्धेषु वैराग्यं संप्राप्तं जन्मनः फलम ।। सन्दर्भ – कात्यायन ने धर्म को समझने के लिए कठोर ताप किया, जिस से आकाशवाण...

विवाह के वर का वर्णन

जो अधिक समीप या अधिक दूर रहने वाला हो, (अपने से) अत्यंत धनी अथवा सर्वथा निर्धन हो, जिसकी कोई आजीविका न हो तथा जो मूर्ख हो, ऐसे पुरुष को कन्या देना अच्छा नहीं माना गया है । जो मूर्...

प्रदोष व्रत एवं शिव पूजा

सन्दर्भ –  ये उस समय की बात  है जब विश्वकर्मा ने इंद्र से बदला लेने के लिए कठोर तप कर के ब्रह्मा जी से वृत्तासुर नामक पुत्र का  आशीर्वाद लिया । वह असुर प्रतिदिन सौ धनुष (चार ...

भगवान शिव की पूजा और फल

यह सन्दर्भ तब का है जब कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया किन्तु यह सोच कर दुखी होने लगे कि मैंने शिव भक्त का वध किया अतः इस शोक से निकलने के लिए मुझे प्रायश्चित करना चाहिए । भग...