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Showing posts from February, 2020

आर्थिक स्थिरता कैसे प्राप्त करें

आर्थिक स्थिरता कैसे प्राप्त करें 〰〰〰〰〰〰〰〰〰️ प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उस पर लक्ष्मी की विशेष कृपा हो और उसके पास खूब पैसा आए। इसके साथ-साथ वह यह भी चाहता है कि उसके पास जो पैसा आए वह उसके पास बना भी रहे अर्थात किसी अनावश्यक कार्य में उसका पैसा खर्च नहीं हो। इसलिए यहां हम आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बता रहे हैं जिनके करने से आप माता लक्ष्मी की स्थाई कृपा प्राप्त कर सकते हैं। माता लक्ष्मी की कृपा से आपको आर्थिक स्थिरता प्राप्त होगी वैसे तो यह उपाय सभी के लिए लाभदायक हैं परंतु विशेषकर उनके लिए अधिक लाभदायक हैं जिन्हें यह अनुभव होता है कि उनके खर्चे अधिक हैं अथवा उनके पास धन अधिक रुकता नहीं है। आप निम्न उपायों में से किसी भी उपाय को कर लाभान्वित हो सकते हैं। 1👉 यदि आप सदैव के लिए आर्थिक स्थिरता चाहते हैं तो अपने जीवन में एक नियम बना लें आप नौकरी पेशा हो अथवा कोई व्यवसाय करते हो आपकी जब भी आय हो तो उस आय को सर्वप्रथम माता लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श अवश्य कराएं। स्पर्श के बाद जहां भी आप धन रखना चाहते हो वहां रख सकते हैं। यह उपाय आपको बहुत छोटा लगेगा परंतु लाभदायक बहुत है। 2👉 आप अपनी आय...

रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य

रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य 1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे। 2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं। 3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है। 4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है। 5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है। 6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है। 7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है। 8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का। 9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में। 10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी। 11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी। 12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला। 13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला। 14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ। 15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं। 16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं। 17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए। 18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में। 19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर। श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था? नहीं तो जानिये- 1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए, 2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए, 3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे, 4 - विवस्वान के वैवस्वत...

क्यों दोपहर में होता है पितरों का भोजन, दक्षिण दिशा की और पिंडदान और तर्पण

*🌹क्यों दोपहर में होता है पितरों का भोजन, दक्षिण दिशा की और पिंडदान और तर्पण••••!🌹🙏🏻*   पितृ पक्ष, पितरों का याद करने का समय माना गया है। भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को ऋषि तर्पण से आरंभ होकर यह आश्विन कृष्ण अमावस्या तक जिसे महालया कहते हैं उस दिन तक पितृ पक्ष चलता है। इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है और उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। पितृ पूजा में कई बातें ऐसी हैं जो रहस्यमयी हैं और लोगों के मन में सवाल उत्पन्न करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है.. श्राद्ध का नियम है कि दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों में सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए बताया गया है।लेकिन दोपहर का समय पितरों के लिए माना गया है। इसलिए कहते हैं कि दोपहर में भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए। दिन का मध्य पितरों का समय होता है। दरअसल पितर मृत्युलोक और देवलोक के मध्य लोक में निवास करते हैं जो चंद्रमा के ऊपर बताया जाता है। दूसरी वजह यह है कि दोपहर से पहले तक सूर्य की रोशन पूर्व दिशा से आती है जो देवलोक की दिशा मानी गई है। दोपहर में...

मंगल चंडिका पाठ से करे विवाह एवं कार्य बाधा को दूर

मंगल चंडिका पाठ से करे विवाह एवं कार्य बाधा को दूर : =================================== शादी-विवाह की समस्या, धन की समस्या, व्यापार की समस्या, गृह-कलेश, विद्या प्राप्ति आदि में चमत्कारिक रूप से लाभ के लिए : स्वयं भगवान् शिव ने इस स्त्रोत की महिमा का बखान किया है । जिन लोगो की कुंडली में मंगली दोष है । उन लोगो के विवाह एवं कार्य में बाधाए मंगल ग्रह के कारण बनती हो तो यह स्त्रोत उनको चमत्कारिक लाभ प्रदान करता है । प्रायः मंगल दोष के कारण पुरुष एवं स्त्री दोनों के विवाह में भी अड़चन बनी रहती है । उनके लिये यह स्त्रोत अत्यंत लाभदायी है ।। मंत्र ==== यह प्रयोग मंगली लोगो को मंगल की वजह से उनके विवाह, काम-धंधे में आ रही रूकावटो को दूर कर देता है । ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके ऐं क्रू फट् स्वाहा ।। देवी भागवत् के अनुसार अन्य मंत्र ====================== ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके हूँ हूँ फट् स्वाहा ।। मंगल चंडिका स्त्रोत =============== ।। श्री मंगलचंडिकास्तोत्रम् ।। ध्यान ===== "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मङ्गलचण्डिके I ...

शनि पीडा निवारण कैसे हो

आज हम आपको शनिपीड़ा से मुक्ति के लिए पिप्लादी साधना के बारे में बतायेगें!!!!!! शनिपीड़ा निवारण के लिए इन तीन नामों का जाप करें। गाधिश्च कौशिकश्चैव पिप्पलादो महामुनि: । शनैश्चर कृतां पीडां नाशयन्ति स्मृतास्त्रय: ।। (शिवपुराण, शतरुद्रसंहिता 25।20) अर्थात्—मुनि गाधि, कौशिक और पिप्पलाद—इन तीनों का नाम स्मरण करने से शनिग्रह की पीड़ा दूर हो जाती है । मुनि पिप्पलाद के नाम-स्मरण से क्यों दूर होती है शनिपीड़ा ? महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी सुवर्चा महान शिभक्त थे । शिवजी के ही आशीर्वाद से महर्षि दधीचि की अस्थियां वज्र के समान हो गयी थीं । महर्षि और उनकी पत्नी की शिवभक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनके यहां ‘पिप्पलाद’ नाम से अवतार धारण किया । वृत्रासुर आदि दैत्यों से पराजय के बाद देवतागण महर्षि दधीचि के आश्रम पर उनकी अस्थियां मांगने गए क्योंकि उनकी अस्थियां शिवजी के तेज से युक्त थी जिससे वे वज्र का निर्माण कर दैत्यों को हराना चाहते थे । उन्होंने किसी कार्य के बहाने उनकी पत्नी सुवर्चा को दूसरे आश्रम में भेज दिया । महर्षि ने ब्रह्माण्ड की रक्षा के लिए अपने प्राणों को खींचकर शिवतेज में मिला ...

हनुमानजी के दस रहस्य

हनुमानजी के दस रहस्य!!!!!!!! हनुमानजी इस कलियुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। वे आज भी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहां रहते हैं, कब-कब व कहां-कहां प्रकट होते हैं और उनके दर्शन कैसे और किस तरह किए जा सकते हैं, हम यह आपको बताएंगे अगले पन्नों पर। और हां, अंतिम दो पन्नों पर जानेंगे आप एक ऐसा रहस्य जिसे जानकर आप सचमुच ही चौंक जाएंगे... चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥ संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥ और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥ चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है। द्वंद्व में रहने वाले का हनुमानजी सहयोग नहीं करते हैं। हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति को जीवन में श्रीराम की कृपा के बिना कोई भी सुख-सुविधा प्राप्त नहीं हो सकती है। श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए हमें हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहिए। उनकी आज्ञा के बिना कोई भी श्रीराम तक पहुंच नहीं सकता। हनुमानजी की श...

भगवान् गणेशजी की अनसुनी कथा

भगवान गणेशजी की एक अनसुनी कथा। 〰️〰️〰️🌼🌼🌼🌼🌼🌼〰️〰️〰️ अद्भुत देव, जिन्होंने शस्त्र उठाए बिना ही शत्रुओं को कर दिया ढेर। विकटो नाम विख्यात: कामासुरविदाहक:। मयूरवाहनश्चायं सौरब्रह्मधर: स्मृत:।। भगवान श्री गणेश का ‘विकट’ नामक प्रसिद्ध अवतार कामासुर का संहारक है वह मयूर वाहन एवं सौरब्रह्म का धारक माना गया है। भगवान विष्णु जब जालन्धर के वध हेतु वृंदा का तप नष्ट करने गए थे, उसी समय उनके शुक्र से अत्यंत तेजस्वी कामासुर पैदा हुआ। कामासुर दैत्य गुरु शुक्राचार्य से दीक्षा प्राप्त कर तपस्या के लिए वन में गया। वहां उसने पच्ञाक्षरी मंत्र का जप करते कठोर तपस्या प्रारंभ की। भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए उसने अन्न, जल का त्याग कर दिया। दिन-प्रतिदिन उसका शरीर क्षीण होता गया तथा तेज बढ़ता गया। दिव्य सहस्त्र वर्ष पूरे होने पर भगवान शिव प्रसन्न हुए। आशुतोष ने प्रसन्न होकर उससे वर मांगने के लिए कहा। कामासुर भगवान शिव के दर्शन कर कृतार्थ हो गया। उसने भगवान शंकर के चरणों में प्रणाम कर वर-याचना की- ‘प्रभो! आप मुझे ब्रह्माण्ड का राज तथा अपनी भक्ति प्रदान करें। मैं बलवान, निर्भय एवं मृत्युंजयी होऊं।...

शक्ति पीठों से जुड़ी कथा __मनुज देव भारद्वाज मुम्बई

शक्तिपीठ से जुड़ी कहानी ~~~~~~~~~~~~~~ यह माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने देवी आदि शक्ति और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ किया था। देवी आदि शक्ति प्रकट हुई,जो शिव से अलग होकर ब्...