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Showing posts from August, 2020

क्या शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं?

क्या शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं? भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। ▪️ शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें। ▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं। ▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। ▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। ▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। ▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। ▪️ ध्यान दें कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है। ▪️ जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है। विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक ...

वेदानुसार पांच प्रकार के यज्ञ

वेदानुसार पांच प्रकार के यज्ञ 〰️〰️🔸〰️🔸〰️🔸〰️〰️ 1. ब्रह्मयज्ञ, 2. देवयज्ञ, 3. पितृयज्ञ, 4. वैश्वदेव यज्ञ, 5. अतिथि यज्ञ। उक्त पांच यज्ञों को पुराणों और अन्य ग्रंथों में विस्तार दिया गया है। वेदज्ञ सार को पकड़ते हैं विस्तार को नहीं। ॐ विश्वानि देव सवितुर्दुरितानि परासुव। यद्भद्रं तन्नासुव ।। -यजुभावार्थ : हे ईश्वर, हमारे सारे दुर्गुणों को दूर कर दो और जो अच्छे गुण, कर्म और स्वभाव हैं, वे हमें प्रदान करो।'यज्ञ' का अर्थ आग में घी डालकर मंत्र पढ़ना नहीं होता। यज्ञ का अर्थ है- शुभ कर्म। श्रेष्ठ कर्म। सतकर्म। वेदसम्मत कर्म। सकारात्मक भाव से ईश्वर-प्रकृति तत्वों से किए गए आह्वान से जीवन की प्रत्येक इच्छा पूरी होती है। मांगो, विश्वास करो और फिर पा लो। यही है यज्ञ का रहस्य। 1.ब्रह्मयज्ञ👉 जड़ और प्राणी जगत से बढ़कर है मनुष्य। मनुष्य से बढ़कर है पितर, अर्थात माता-पिता और आचार्य। पितरों से बढ़कर हैं देव, अर्थात प्रकृति की पांच शक्तियां, देवी-देवता और देव से बढ़कर है- ईश्वर और हमारे ऋषिगण। ईश्वर अर्थात ब्रह्म। यहब्रह्म यज्ञसंपन्न होता है नित्य संध्यावंदन, स्वाध्याय तथा वेदपाठ करने से।...

ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों?

ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों? 〰️〰️🌸〰️🌸〰️🌸〰️〰️ हर काल में अलग-अलग सप्तर्षि रहे है। जानिए कौन किस काल के है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आकाश में 7 तारों का एक मंडल नजर आता है। उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। इसके अतिरिक्त सप्तर्षि से उन 7 तारों का बोध होता है, जो ध्रुव तारे  की परिक्रमा करते हैं। उक्त मंडल के तारों के नाम भारत के महान 7 संतों के आधार पर ही रखे गए हैं। वेदों में उक्त मंडल की स्थिति, गति, दूरी और विस्तार की विस्तृत चर्चा  मिलती है। ऋषियों की संख्‍या सात ही क्यों? 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ।।सप्त ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि, परमर्षय : कण्डर्षिश्च, श्रुतर्षिश्च, राजर्षिश्च क्रमावश।। अर्थात: 👇 1. ब्रह्मर्षि,  2. देवर्षि,  3. महर्षि,  4. परमर्षि,  5. काण्डर्षि,  6. श्रुतर्षि और  7. राजर्षि ये 7 प्रकार के ऋषि होते हैं इसलिए इन्हें सप्तर्षि कहते हैं। भारतीय ऋषियों और मुनियों ने ही इस धरती पर धर्म, समाज, नगर, ज्ञान, विज्ञान, खगोल, ज्योतिष, वास्तु, योग आदि ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया था। दुनिया के सभी धर्म और विज्ञान के हर क्षेत्...

श्री गणेश पूजन (सरलतम विधि )

श्री गणेश पूजन (सरलतम विधि ) 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ जो साधकगण समयाभाव के चलते विस्तृत पूजा नही कर सकते उनके लिए समय पूजन विधि बताई जा रही है। पूजन सामग्री (सामान्य पूजन के लिए )  〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुद्ध जल,गंगाजल, सिन्दूर,रोली,रक्षा, कपूर,घी,दही,दूब,चीनी,पुष्प,पान,सुपारी,रूई,प्रसाद (लड्डू गणेश जी को बहुत प्रिय है)। विधि👉  गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन मंत्र पढकर अक्षत डालें। ध्यान श्लोक👉    शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् . प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये .. लम्बी सूंड, बड़ी आँखें ,बड़े कान ,सुनहरा सिन्दूरी वर्ण यह ध्यान करते ही प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का पवित्र स्वरुप हमारे सामने आ जाता है।सुखी व सफल जीवन  के इरादों से आगे बढऩे के लिएबुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के नाम स्मरण से ही शुरुआत  शुभ मानी  जाती है। जीवन में प्रसन्नता और हर छेत्र में सफलता प्राप्त करने हतु श्री गजानन महाराज के पूजन की सरलतम विधि विद्वान पंडित...

श्री कृष्ण चरणारविन्द

श्री कृष्ण चरणारविन्द 〰️〰️🔸〰️🔸〰️〰️ कृष्ण के चरण कमल का स्मरण मात्र करने से व्यक्ति को समस्त आध्यात्मिक एवं भौतिक संपत्ति, सौभाग्य, सौंदर्य, और सगुण की प्राप्ति होती है. ये नलिनचरण सर्वलीलाधाम है, कृष्ण के चरणारविन्द हमारा सर्वस्व हो जाये. श्री श्यामसुन्दर का  दायाँ चरण 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ श्री श्याम सुन्दर के दाये चरण में "ग्यारह मंगल चिन्ह" है.  पादांगुष्ठ के मूल में एक "जौ " का चिन्ह है उसके नीचे एक 'चक्र' चक्र के नीचे एक 'छत्र' है। एक 'उर्ध्वरेखा' पाँव के मध्य में प्रारंभ होती है, मध्य के मूल पर एक रुचिर 'कमल' कुसुम है, कमल के नीचे 'ध्वज' है ,कनिष्ठा के नीचे एक 'अंकुश'  है उसके नीचे एक 'वज्र' है एड़ी पर एक 'अष्टभुज' है जिसके चारो ओर चार प्रमुख दिशाओ में चार 'स्वास्तिक' है हर दो स्वास्तिक के बीच में एक 'जम्बू फल' है। १. जौ- जौ का दाना व्यक्त करता है कि भक्त जन राधा कृष्ण के पदारविन्दो की सेवा कर समस्त भोग ऐश्वर्य प्राप्त करते है एक बार उनका पदाश्रय प्राप्त कर लेने पर भक्त ...

श्री कृष्ण के बारे में कुछ रोचक जानकारियां

श्री कृष्ण के बारे में कुछ रोचक जानकारियां 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔹🔸🔸🔹🔸🔸 कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है। कृष्ण गुरु हैं, तो शिष्य भी। आदर्श पति हैं तो प्रेमी भी। आदर्श मित्र हैं, तो शत्रु भी। वे आदर्श पुत्र हैं, तो पिता भी। युद्ध में कुशल हैं तो बुद्ध भी। कृष्ण के जीवन में हर वह रंग है, जो धरती पर पाए जाते हैं इसीलिए तो उन्हें पूर्णावतार कहा गया है। मूढ़ हैं वे लोग, जो उन्हें छोड़कर अन्य को भजते हैं… ‘भज गोविन्दं मुढ़मते। आठ का अंक 🔸🔸🔹🔹 कृष्ण के जीवन में आठ अंक का अजब संयोग है। उनका जन्म आठवें मनु के काल में अष्टमी के दिन वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म हुआ था। उनकी आठ सखियां, आठ पत्नियां, आठमित्र और आठ शत्रु थे। इस तरह उनके जीवन में आठ अंक का बहुत संयोग है। कृष्ण के नाम 🔸🔸🔹🔹 नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव। बाकी बाद में भक्तों ने रखे जैसे ‍मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि, रासबिहारी आदि। कृष्ण के माता-पिता 🔸🔸🔹🔸🔸 कृ...

रामभद्राचार्य जी, जिन्होंने रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ प्रमाण दिए

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ये वही रामभद्राचार्य जी है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के उद्धारण के साथ गवाही दी थी। दृश्य था उच्चतम न्यायलय का ... श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वादी के रूप में उपस्थित थे धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ... जो विवादित स्थल पर श्रीराम जन्मभूमि होने के पक्ष में शास्त्रों से प्रमाण पर प्रमाण दिये जा रहे थे ... न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति मुसलमान था ... उसने छूटते ही चुभता सा सवाल किया, "आप लोग हर बात में वेदों से प्रमाण मांगते हैं ... तो क्या वेदों से ही प्रमाण दे सकते हैं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में उस स्थल पर ही हुआ था?" जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी (जो प्रज्ञाचक्षु हैं) ने बिना एक पल भी गँवाए कहा , " दे सकता हूँ महोदय", ... और उन्होंने ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता से उद्धरण देना शुरू किया जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का बिल्कुल सटीक ब्यौरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की स्थिति बताई गई है । कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई ... और उसमें जगद्गुरु जी द्वारा ...

हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज है, सदियों के वनवास की

हुई  प्रतीक्षा  पूर्ण  आज , शबरी माता के बेरों की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज, केवट मल्लाह की टेरो की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज , सरयू की पावन लहरों की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज, हर ग्राम और हर शहरों की हुई प्रतीक्षा  पूर्ण  आज  है ,  फटे हुए तिरपाल की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज है, श्री राम चन्द्र कृपाल की  हुई प्रतीक्षा  पूर्ण आज ,  शत्रुधन जैसे भाई की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज, कैकेयी सुमित्रा माई की हुई प्रतीक्षा पूर्ण  आज , सिंहासन रखे खडाऊँ की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज , स्वर्गवासी गिद्ध जटायू की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज है, ऋषि वशिष्ठ पाराशर की हुई प्रतीक्षा  पूर्ण  आज  है , विश्वामित्र  गुरुवर  की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज है, जनकनंदिनी सीता की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज है, रामचन्द्र परिणीता की हुई प्रतीक्षा पूर्ण  आज  है, वीर बली बजरंगी की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज, वानर दल साथी संगी की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज, सेवक सुमंत्र सारथी की हुई  प्रतीक्षा  पूर्ण आज , जामवंत महारथी की हुई प्रतीक्षा पूर्ण आज है, सदियों के...

Bhardwaj/Bharadwaja Gotra/Surname Details

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Bharadwaja, also referred to as Guru (IAST: Bharadvāja) or Bharadvaja, Bṛhaspatya, was one of the revered Vedic sages (maharishi) in Ancient India, who was a renowned scholar, economist and an eminent physician. His contributions to the ancient Indian literature, mainly in Puranas and Rig Veda, played a significant role in giving an insight to the then Indian society. He and his family of students are considered the authors of the sixth book of the Rigveda. Bharadwaja was father of warrior Droṇāchārya, a main character in Mahabharata who was an instructor to both Pandava and Kaurava princes. Bharadwaja is also mentioned in Charaka Samhita, an authoritative ancient Indian medical text. He is one of the Saptarishis (seven great sages or Maharṣhis). History His full name in Vedic texts is Bharadvaja Barhaspatya, the last name referring to his father and Vedic sage Brihaspati. His mother was Mamata, the wife of Utathya Rishi who was the elder brother of Brhaspati. He is one of the seven ri...

जानिए कौन है सप्त चिरंजीवि

*जानिए कौन है सप्त चिरंजीवी* शतायु प्राप्ति हेतु प्रातः स्मरण करें इन सप्त चिरंजीवियों को  🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 प्राचीन हिंदू इतिहास और पुराणों के अनुसार ऐसे सात शक्तियां हैं, जो सप्त चिरंजीवी हैं । यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियाँ इनमें विद्यमान है ।। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार इनका प्रात: स्मरण करने से मनुष्य दीर्घायु और निरोग रहता है । *बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।* *कृपाचार्य: मार्कण्डेय परशुरामश्च* *सप्तएतै चिरजीविन:॥* अर्थात इन सात शक्तियों (बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, मार्कण्डेय ऋषि और परशुराम जी) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सभी रोग समाप्त होते हैं और मनुष्य दीर्घ आयु को प्राप्त करता है। आइए जानते हैं इन सात अद्भुत और अजर-अमर चिरंजीवियों के बारे में (स्वामी अधीश जी महाराज के प्रवचन से लिया गया अंक)  राजा बलि : शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया था। इसी कारण इन्हें महादानी के रूप में जाना जाता है। राजा बलि से श्री...

14 प्रकार की तुल्य मृत्यु

_*14 प्रकार की तुल्य मृत्यु*_  *श्री राम और रावण का युद्ध चल रहा था । तब अंगद रावण को बोला, तू तो मरा हुआ है । तुझे मारने से क्या फायदा ?*  रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे ?  अंगद बोले सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार का भाता भी लेता है ।  तब अंगद ने 14 प्रकार की मृत्यु बतलाई l अंगद द्वारा रावण को बतलाई गई, ये बातें आज के दौर में भी लागू होती हैं । यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है । विचार करें कहीं यह दुर्गुण हमारे पास तो नहीं हैं....कि हमें मृतक समान माना जाय । _*1.कामवश-*_ जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है । जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है । वह अध्यात्म का सेवन नही करता है । सदैव वासना में लीन रहता है । _*2.वाम मार्गी-*_ जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले । जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो । नियमों, परंपराओं...

परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई

परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं है। जो व्यक्ति स्वयं की चिंता न कर परोपकार के लिए कार्य करता है, वही सच्चे अर्थों में मनुष्य है। परोपकार का अर्थ है दूसरे की भलाई करना। परमात्मा ने हमें जो भी शक्तियां व साम‌र्थ्य दिए हैं वे दूसरों का कल्याण करने के लिए दिए हैं। प्रकृति के प्रत्येक कण-कण में परोपकार की भावना दिखती है। सूर्य, चंद्र, वायु, पेड़-पौधे, नदी, हवा, बादल सभी बिना किसी स्वार्थ के सेवा में लगे हुए हैं। सूर्य बिना किसी स्वार्थ के, पृथ्वी को जीवन देने के लिए प्रकाश देता है। चंद्रमा अपनी किरणों से सबको शीतलता प्रदान करता है, वायु अपनी प्राण-वायु से संसार के प्रत्येक जीव को जीवन प्रदान करती है। वही बादल सभी को जल रूप अमृत प्रदान करते हैं, वो भी बिना किसी स्वार्थ के, युगों-युगों से। इसके बदले ये हमसे कुछ भी अपेक्षा नहीं करते, बस परोपकार ही करते हैं। रहीम कहते हैं- 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 हरेक व्यक्ति का दायित्व है कि वह संसार को उतना तो अवश्य लौटा दे, जितना उसने इससे लिया है। चाणक्य भी मानते हैं कि परोपकार ही जीवन है। जि...