भगवान शिव, शंकर, महादेव, भोलेनाथ से जुड़े 18 रोचक तथ्य

भगवान शिव, शंकर, महादेव, भोलेनाथ से जुड़े 18 रोचक तथ्य
1. भगवान शिव का कोई माता-पिता नही है. उन्हें अनादि माना गया है. अर्थात, जो हमेशा से था. जिसके जन्म की कोई तिथि नही.
2. कत्थक, भरतनाट्यम करते समय भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है उसे नटराज कहते है.
3. किसी भी देवी-देवता की खंडित मूर्ति की पूजा नही होती. किंतु शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है.
4. हम शिवरात्री इसलिए मनाते है क्योंकि इस दिन शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था.
5. शंकर भगवान की एक बहन भी थी अमावरी. जिसे माता पार्वती के हठ पर स्वयं महादेव ने अपनी माया से बनाया था.
6. भगवान शिव और माता पार्वती का 1 ही पुत्र था. जिसका नाम था कार्तिकेय. गणेश भगवान तो मां पार्वती ने अपने उबटन (शरीर पर लगे लेप) से बनाए थे.
7. भगवान शिव ने गणेश जी का सिर इसलिए काटा था क्योकिं गणेश ने शिव को पार्वती से मिलने नही दिया था. उनकी मां पार्वती ने ऐसा करने के लिए आदेश दिया था.
8. भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था. जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था.
9. शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फुल नही चढ़ाया जाता. क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का प्रतीक बना था.
10. शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है. लेकिन इसके लिए भी एक सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जा सकता.
11. शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता. क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था. आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था.
12. भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि. यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था.
13. चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है.
14. जिस बाघ की शाल को भगवान शिव पहनते है उस बाघ को उन्होनें स्वयं अपने हाथों से मारा था.
 
15. नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है. वह शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था. जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था.
16. गंगा भगवान शिव के सिर से क्यों बहती है? देवी गंगा को जब धरती पर उतारने की सोची तो एक समस्या आई कि इनके वेग से तो भारी विनाश हो जाएगा. तब शंकर भगवान को मनाया गया कि पहले गंगा को अपनी ज़टाओं में बाँध लें, फिर अलग-अलग दिशाओं से धीरें-धीरें उन्हें धरती पर उतारें.
17. शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होने विष पी लिया था. समुंद्र मंथन के समय 14 रत्न निकले थी. 13 रत्न तो असुरों और देवताओं ने आधे-आधे बाँट लिये किंतु हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नही था. ये विष बहुत ही घातक था इसकी एक बूँद भी धरती पर बड़ी तबाही मचा सकती थी. तब भगवान शिव ने इस विष को पीया था. यही से उनका नाम पड़ा नीलकंठ.
18. भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है. इसलिए कहते है, तीसरी आँख बंद ही रहे प्रभु की.
हर हर महादेव




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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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