मनुष्य का शरीर शांत होने पर

धनानि भूमौ पशवः हि गोष्ठे
             नारि गृहद्वारि जनाः श्मशाने।
देहश्चितायाम् परलोक मार्गे
             धर्मानुगो गच्छति जीवः एकः।।

भावार्थ - मनुष्य का शरीर शांत होने पर, धन सम्पदा भूमि पर ही पड़ी रह जाती है, मोटर गाड़ियाँ घर में, पशु अस्तबल में रह जाते हैं , पत्नि घर के द्वार तक साथ देती है, बन्धुजन श्मशान तक साथ चलते हैं और अपनी स्वयं की देह चित्ता तक ही साथ देती है । तत्पश्चात् परलोक मार्ग पर जीव को अकेला ही जाना होता है । केवल धर्म ( नैतिक स्तर, ज्ञान, कर्तव्य , दान ) ही उसका अनुगमन करता हुआ साथ चलता है |




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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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