जब किस्मत साथ ना दे तब क्या करें

जब किस्मत साथ ना दे तब क्या करें
जब कभी हमारे साथ कुछ अच्छा होता हैं तो हम अक्सर किस्मत से मिला कहते हैं, जैसे आप घर से बाहर किसी ट्रेन से जा रहे थे, ट्रेन मिस हो गयी, अचानक फोन आता हैं कि ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हो गयी जिस डिब्बे मैं आपकी सीट थी सबसे ज्यादा मौत उसी डिब्बे मैं हुई ,तब आप के मुख से यही शब्द निकलता हैं कि किस्मत से बाल बाल बचे ।
हम जब कुछ अच्छा होता हैं तो यही कहते कि किस्मत का आनन्द के रहे । मगर यही बुरा होने लगता तो भगवान के प्रति दुख जताया करते कि न जाने भगवान किस पाप की सजा दे रहा ।
दरअसल होता यूं है कि हम करते कम और अपेक्षा ज्यादा की रखते हैं, हम एक नारियल मैं 1 लाख मिल जाये कि कामना करते हैं । बात ये नही की भगवान आपके एक नारियल हेतु बैठा है ।जो देता है उसे आपके नारियल या प्रसाद या धन की जरूरत नही है ।

कैसे जाने की भाग्य साथ नही दे रहा है
नवम भाव भाग्य का है | यहाँ बैठे ग्रह आपके भाग्य को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं | यदि यहाँ कोई भी ग्रह न हो तो भी यहाँ स्थित राशी के स्वामी को देखा जाता है |इस घर का मालीक कंहा और किस राशि मे विराजित हैं, कंही पीढित तो नही, नीच राशिगत तो नही । नवम भाव भाग्य का और दशम भाव कर्म का है | जब इन दोनों स्थानों के ग्रह आपस में किसी भी प्रकार का सम्बन्ध रखते हैं तब राजयोग की उत्पत्ति होती है | राजयोग में साधारण स्थिति में व्यक्ति सरकारी नौकरी प्राप्त करता है | नवम और दशम भाव का आपस में जितना गहरा सम्बन्ध होगा उतना ही अधिक बड़ा राज व्यक्ति भोगेगा | मंत्री, राजनेता, अध्यक्ष आदि राजनीतिक व्यक्तियों की कुंडली में यह योग होना स्वाभाविक ही है |
यदि नवम भाव मजबूत और शुभ स्थान मैं होता हैं तो किस्मत का सितारा बुलन्दी पर होता हैं । कई बार हम सुनते हैं कि एक आदमी मिट्टी भी सोने के भाव बेच देता है, और एक इंसान सोना भी मिट्टी के भाव नही बेच पाता है क्यो?
कुछ चंद इंसान ही भाग्य लेकर आते हैं, पर कहते हैं कि भाग्य लेकर आना और भाग्यकारक बने रहने मैं अंतर होता हैं ।
आपके कर्म जो पूर्वजन्म के किये उससे इस जन्म मैं आप भाग्य लेकर आये, आप किसी उच्च घर मैं जन्म लिए,पर आपके घमंड, अहंकार, मोह, अत्याचार, असम्मान, लोगो की बद्दुआ आदि से भाग्य दुर्भाग्य मैं बदल जाता है
अब फिर से समझाता हूं कि भाग्य कैसे बना । आपके किसी परिचित ने एक आम का वृक्ष लगाया, कुछ वर्ष बाद उस वृक्ष पर आम आना शुरू हो गए लेकिन उस परिचित की मृत्यु हो गयी । परन्तु आम तो आ ही रहे हैं, जिसने वृक्ष लगाया वो तो चला गया पर जो बोकर गया उससे कितनो को फायदा हो रहा । उस जाने वाले को हजारो की दुआ मिल रही , जंहा भी जिस जन्म मैं भी वो रहेगा सबकी दुआए उसके साथ रहेगी । यही दुआएं सौभाग्य बनाती हैआपके द्वारा ग्रहों के मंत्र जाप पूजा पाठ ब्राम्हण से कराने से भी सौभाग्य की प्राप्ति होती है
जो मिला हो उसका रोना रोने से कोई फायदा नही । हमारे पूर्व कर्म को भोगना ही पड़ेगा, पर क्या हम बंजर जमीन जो हमे विरासत मैं मिली उसे देखकर रोते रहने से क्या हासिल हो जाएगा ?
हम उसे जोतकर उसे कृषि भूमि भी बना सकते है
अच्छे काम करके कुछ सकारात्मक कर्मो की प्राप्ति करना, अपना भाग्य बदलने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। ऐसा करके आप इस जीवन या पहले के जीवन में किये बुरे कर्मों का भुगतान करते हैं।
किसी धर्मार्थ संगठन में दान करके, जरूरतमंदों जैसे बेघर, बुजुर्ग या अनाथ बच्चो की मदद करके अपने कर्मों को बेहतर बनायें।
सच्ची भावना के साथ लोगों की मदद करना महत्वपूर्ण है। यदि आप खुद के जीवन को आसान बनाने के लिए कोई अच्छा कर्म कर रहे हैं तो यह करना गलत नही है
सहायता के कामों में शामिल होना, आपको स्वयं की स्तिथि को परिपेक्ष्य में रखने में सहायता करता है - हो सकता है आपको लग रहा हो कि आपको दुर्भाग्य ने घेर रखा है, पर एक बार किसी और की तकलीफ देखने पर आपको समझ आ सकता है कि आपकी स्तिथि उतनी भी बुरी नहीं है।
      
आज पूरा विश्व मदर्स डे मना रहा है,पर क्या आपको लगता हैं कि वर्ष मैं एक बार माता को, या एक बार पिता को सम्मान देकर आप अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हो। जिस घर मैं माता पिता का सम्मान नही होता, उस घर मे हर पूजा, पाठ , हवन सफल नही होता । दुर्भाग्य उस घर का पीछा नही छोड़ता । आज भले ही आप कुछ समय के लिये मां बाप को त्याग कर खुश हो जायेगे,लेकिन यदि एक बार भी दिल से माता पिता की बद्दुआ आपको मिल गई तो हर जन्म बद से भी बदतर जिंदगी जीने के लिये गुजरना होगा ।
कई बार कुछ भाई मां बाप का बंटवारा कर लेते हैं, 2 दिन मां इस घर मे भोजन करेगी, 2 दिन इस घर मे । ये बेवकूफी मत कीजिये । जिस घर मैं मां पिता भोजन करते वो घर खुद स्वर्ग हो जाता है । ये कभी न करे कि माँ बाप को तुम रखो, बल्कि ये करो कि मां बाप मेरे साथ रहेंगे ।
सौभाग्य प्राप्ति की सबसे पहली और आखरी कढ़ी हैं हमारे बुजुर्गो का सम्मान। यदि आप अस्पताल बनवा रहे, प्याऊ खुलवा रहे, कोई सामाजिक संस्था को दान कर रहे , लेकिन घर के बुजुर्गो को सम्मान नही दे रहे तो लानत हैं ऐसी जिंदगी पर ।
खास तौर पर ऐसी महिलाएं जो सास ससुर को बोझ समझती है, सावधान रहें।कल आप भी सास बनेगी।आज का सौभाग्य कल का दुर्भाग्य बनकर आने को तैयार खड़ा है । कौन क्या कर रहा ये मत देखिये, हम क्या कर सकते ये सोचिये ?
आलस्य ही दुर्भाग्य हैं? किस ईश्वर की पूजा सोया भाग्य जगा सकती हैं? बहुत सी बातें है।  मैं  हूं आपके साथ । जिंदगी बदल सकती है । कभी कर्मो से और कभी सुझाव पर अमल से । कर्म आपको करने है, सुझाव मैं दे रहा हूँ

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