पौंटा साहिब

पौंटा साहिब - दो नदियों का संगम स्थल
पौंटा साहिब , यमुना नदी के तट पर स्थित , पर्यटकों का उचित हिस्सा अपनी ओर आकर्षित करता है। इस ऐतिहासिक शहर को सिखों के 10 वें गुरु , गुरु गोबिंदसिंहजी , द्वारा स्थापित  किया गया था , जो सिरमौर के राजा मैदिनी प्रकाश के निमंत्रण पर यहाँ चार साल से अधिक रहे थे। कहा जाता है कि जब वे 16 साल के थे तब वे यहाँ रहने आये थे। " पौंटा " का अर्थ है " पैर जमाने की जगह "। पौंटा साहिब , साल के पेड़ के हरे भरे जंगलों से घिरा , 350 मीटर चौड़ा क्षेत्र है। एक पौराणिक कथा के अनुसार , यमुना की तेज़ धारा गुरू गोविंदसिंहजी की सलाह पर शांति से प्रवाहित होती थी , ताकि वे अशांति के बिना , सिखधर्म के शास्त्र, " दसम् ग्रंथ " को लिख सकें। पौंटा साहिब में कई पर्यटन स्थल के आकर्षण हैं और उनमें से "अस्सान झील " व " सहस्त्रधारा " लोकप्रिय हैं। पौंटा साहिब की यात्रा पर आये यात्रियों को सुंदर अस्सान झील का दौरा करना चाहिए , जिसे हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा एक पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।आगंतुकों के लिये गति नौका विहार , नौकायन , तैरने और पाल नौका विहार की तरह मनोरंजक गतिविधियों में लिप्त होने के विकल्प हैं।सहस्त्रधारा यमुना नदी और टोंग नदी , जिसे तमसा के रूप में भी जाना जाता है , का संगम स्थल है।पौंटा साहिब की यात्रा पर यात्री आसानी से वायुमार्ग , रेलवे या रोडवेज के माध्यम से पहुँच सकते हैं। ग्रीष्म , शरद , और वसंत इस जगह की यात्रा के लिये सबसे अच्छे मौसम हैं।

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