विघ्नेश्वराय वरदाय

विघ्नेश्वराय   वरदाय   सुरप्रियाय ।
लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।।
नागाननाय श्रुतियज्ञ  विभूषिताय ।
गौरीसुताय गणनाथ नमो - नमस्ते।।

श्लोकार्थ :-

विघ्न हर्ता, वर देने वाले, देवताओं के सर्व प्रिय, लम्बोदर, सभी कलाओं से परिपूर्ण, जगत् का हित करने वाले, गज के समान मुखवाले एवं वेद तथा यज्ञ से विभूषित प्रथम पूजनीय, पार्वती पुत्र, हे गणनाथ ! हम आपको नमन-वन्दन एवं प्रणाम करते हैं ।

गणेश चतुर्थी की सहस्त्र शुभकामना

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