गणपतिजी का अद्भुत मंदिर

गणपतिजी का अद्भुत मंदिर

        पुडुचेरी के गणपतिजी का मुख सागर की तरफ है , जिनको भुवनेश्वर गणपति कहा गया है। इन्हें मनाकुला भी कहा जाता है।तमिल में मनल का मतलब बालू और कुलन का मतलब सरोवर होता है। पहले गणेशजी मूर्ति के आसपास बालू ही बालू थी , इसलिए लोग इन्हें मनाकुला विनायगर कहने लगे।पुडुचेरी में फ्रेंच शासन के समय कई बार इस मंदिर पर हमले की कोशिश भी की गई। फ्रांस से आए लोगों ने कई बार गणपति प्रतिमा को समुद्र में डुबो दिया , पर हर बार प्रतिमा समुद्र से निकलकर अपने स्थान पर वापस आ जाती थी। कई बार इस मंदिर की पूजा में व्यवधान डालने की भी कोशिश की गई। लेकिन गणपति का यह मंदिर अपनी पूर्ण प्रतिष्ठा के साथ आज भी भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र  बना हुआ है।मंदिर की आंतरिक सज्जा स्वर्ण जड़ित है। यहाँ  मुख्य गणेश प्रतिमा के अलावा 58 तरह की गणेश मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। मंदिर की अंदर की दीवारों पर  गणेश जी के जन्म , विवाह आदि के दृश्य चित्रित हैं।मंदिर में गणेश जी का 10 फीट ऊँचा भव्य रथ है। जिसके निर्माण में साढ़े सात किलोग्राम सोने का इस्तेमाल हुआ है।

कैसे पहुंचें :
पुडुचेरी के नए बस स्टैंड से मंदिर की दूरी करीब चार कि.मी.  है। पुडुचेरी का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन विल्लुपुरम है , जहाँ  से मन्दिर करीब 35 कि.मी. दूर है। पुडुचेरी के लिए चेन्नई , तंजौर , त्रिच्चि , कोयंबटूर , बेंगलुरू , मदुरई से बसें भी चलती हैं। चेन्नई से यह करीब 135 कि.मी.दूर है।

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