सिर पर शिखा का क्या महत्व

सिर पर शिखा का क्या महत्व

हम देखते है कि बहुत से लोग सिर पर शिखा(चोटी) रखते है. पर सिर पर शिखा रखने का क्या तात्पर्य है,हम ये समझ नहीं पाते. सिर पर शिखा ब्राह्मणों,संतो, वैष्णवों की पहचान मानी जाती है। लेकिन यह केवल कोई पहचान मात्र नहीं है।
- जिस जगह शिखा (चोटी) रखी जाती है, यह शरीर के अंगों, बुद्धि और मन को नियंत्रित करने का स्थान भी है। शिखा एक धार्मिक प्रतीक तो है ही साथ ही मस्तिष्क के संतुलन का भी बहुत बड़ा कारक है।
आधुनिक युवा इसे रुढ़ीवाद मानते हैं लेकिन असल में यह पूर्णत: वैज्ञानिक है। दरअसल, शिखा के कई रूप हैं।
- आधुनकि दौर में अब लोग सिर पर प्रतीकात्मक रूप से छोटी सी चोटी रख लेते हैं लेकिन इसका वास्तविक रूप यह नहीं है।
वास्तव में शिखा का आकार #गाय_के_पैर_के_खुर के बराबर होना चाहिए।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारे सिर में बीचोंबीच सहस्रार चक्र होता है।
शरीर में पांच चक्र होते हैं, मूलाधार चक्र जो रीढ़ के नीचले हिस्से में होता है और आखिरी है सहस्राह चक्र जो सिर पर होता है।
इसका आकार #गाय के खुर के बराबर ही माना गया है।
शिखा रखने से इस सहस्रार चक्र का जागृत करने और शरीर, बुद्धि व मन पर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।
शिखा का हल्का दबाव होने से रक्त प्रवाह भी तेज रहता है और मस्तिष्क को इसका लाभ मिलता है।
.- ऐसा भी कहा जाता है कि मृत्यु के समय आत्मा शरीर के द्वारों से बाहर निकलती है (मानव शरीर में नौ द्वार बताये गए है दो आँखे, दो कान, दो नासिका छिद्र, दो नीचे के द्वार, एक मुह )और दसवा द्वार यही शिखा या सहस्राह चक्र जो सिर में होता है , कहते है यदि प्राण इस चक्र से निकलते है तो साधक की मुक्ति निश्चत है.और सिर पर शिखा होने के कारण प्राण बड़ी आसानी से निकल जाते है. और मृत्यु हो जाने के बाद भी शरीर में कुछ अवयव ऐसे होते है जो आसानी से नहीं निकलते, इसलिए जब व्यक्ति को मरने पर जलाया जाता है तो सिर अपनेआप फटता है और वह अवयव बाहर निकलता है यदि सिर पर शिखा होती है तो उस अवयव को निकलने की जगह मिल जाती है.
सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को इतना अधिक महत्वपूर्ण माना गया है कि इस कार्य को हिन्दुत्व की पहचान तक माना लिया गया।
योग और अध्यात्म को सुप्रीम सांइस मानकर जब आधुनिक प्रयोगशालाओं में रिसर्च किया गया तो,
चोंटी के विषय में बड़े ही महत्वपूर्ण ओर रौचक वैज्ञानिक तथ्य सामने आए।
शिखा रखने से मनुष्य लौकिक तथा पारलौकिक समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त करता है.
शिखा रखने से मनुष्य प्राणायाम, अष्टांगयोग आदि यौगिक क्रियाओं को ठीक-ठीक कर सकता है।
शिखा रखने से सभी देवता मनुष्य की रक्षा करते हैं। शिखा रखने से मनुष्य की नेत्रज्योति सुरक्षित रहती है।
शिखा रखने से मनुष्य स्वस्थ, बलिष्ठ, तेजस्वी और दीर्घायु होता है।

श्री राम जय राम जय जय राम

सादर श्रीकृष्ण  वन्दनम्

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