शिक्षक दिवस
सर्वप्रथम सभी परम आत्माओं को मेरा प्रणाम।
आज का दिवस भाव शिक्षक दिवस श्री सर्वोपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस हेतु मनाया जा जाता है। अतैव आप सबको शिक्षक दिवस की हार्दिक। शुभकामनाएं।
कुछ सवाल प्रत्येक शिष्य एवम शिक्षक से। क्या हम शिक्षक दिवस मनाने के योग्य हैं? अवश्य ही यह प्रशन आपको अजीब एवम इसका उत्तर कटु आभास कराएगा, एवम कुछ तो निरुत्तर हो जाएंगे।
चलिए पहले शिक्षक से प्रारम्भ करते हैं।
आज कुछ शिक्षक अपना घर चलाने के लिए एवम धन एकत्रित करने के लिए इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि शिष्यों को पाठशाला में कुछ करवाए यां न पर घर पढ़ने आने वाले शिष्यों को बहुत अच्छी प्रकार से पढ़ाते हैं। एक बहुत सामान्य सा सवाल अगर वही शिक्षक पाठशाला में उचित प्रकार से पढ़ाए तो मुझे नही लगता कि किसी शिष्य को अलग से पैसे देने पढ़ें वही सब दोबारा पढ़ने के लिए।
कोई भी शिक्षक शिष्य को मौलिक सिद्धांत एवम संस्कार दे कर खुश नही अपितु गलती करने पर अगर किसी शिक्षक ने डांटा है तो उस शिष्य को सहारा देंगे यां उस शिक्षक के प्रति नकारात्म सोच बना देंगे। कारण की शिष्य हमारी माने तथा हमसे पढ़ने के लिए घर आए।
माने यां न माने कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो दूसरे शिक्षक से पढ़ने वाले शिष्यों को परेशान करते हैं।
सवाल क्यों नही यह शिक्षक पाठशाला में अच्छी प्रकार से पढ़ाते जिससे शिष्यों का समय बचे तथा वह पाठशाला के पश्चात अपना समय खेल कूद एवम स्वाध्याय में लगा पाएं। क्यो यह निजीप्रशिक्षण घरेलू पाठशाला बंद होती? क्या ऐसे लालची व्यक्तियों को शिक्षक मानना चाहिए? यां उन्हें शिक्षक होने का अधिकार है?
अब बात करते हैं शिष्य की
आज जिस प्रकार का वातावरण बना हुआ है सबसे आवश्यक है संस्कार देना जिससे शिष्य वंचित रह जाते हैं क्योंकि मातपिता के पास समय नही और शिक्षक लोभी हो चुका है तथा सहपाठी एवं मित्र उसे गलत राह पर ले जा रहे हैं। ऐसे में एक बालक किस प्रकार से जीवन में अग्रेक्षित होगा।
आज शिष्य भी शिक्षक का केवल झूठा सन्मान ही करता है यां कहलें बात मानने का स्वांग रचता है।
जैसे शिक्षक लालची हुआ है वैसे ही शिष्य भी लालची हो गया है। उसे केवल परीक्षा में आने वाले आंकड़ों से मतलब है। कैसे भी आएं - नकल से आएं यां ट्यूशन पर पहले ही बताए एवम करवाएं मुख्य सवालों से।
एक सामान्य बात जो आज के प्रत्येक व्यक्ति पर प्रशन उठती है।
प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चों को अंग्रेजी बोलना सीखाना चाहता है तथा इसके लिए लाखों पैसे लगाता है परन्तु सबसे शर्म की बात है कि वो खुद शुद्ध हिंदी जो कि राष्ट्रीय भाषा है भी नही बोल पाता न लिख पाता* फिर संस्कार कहाँ से आएगे, जब हम स्वयं ही बच्चों को अपनी संस्कृति से तोड़ने एवं उसका मज़ाक उड़ाना सिखाऐं गे तो बाद में संस्कार कहाँ से पाएंगे।
एशिया की सबसे बड़ी शक्ति तथा विश्व की दूसरी महाशक्ति अपने देश मे अंग्रेजी कंपलसरी नही करती क्योकि लोग अपने देश की भाषा को प्रेम करते हैं और राष्ट्रवादी हैं यही नही विश्व की सबसे बड़ी शक्ति भी अंग्रेजी का इस्तेमाल करती है जो उनकी अपनी भाषा है ना कि हिंदी पंजाबी। विश्व की सबसे बड़ी सुरक्षा वाला देश भी अपनी राष्ट्रभक्ति को दर्शाता है अपनी भाषा मे संवाद के साथ साथ अपने प्रत्येक नागरिक को सैनिक प्रशिक्षण अनिवार्य करवाता है तथा देश की सेना में कुछ वर्ष कार्य करना भी अनिवार्य है।
हम लोग ही आश्रित क्यो हैं कियोकि हम अपनी शक्ति को भुला रहे हैं तथा गुलामी में आजभी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
विश्व को संख्य ज्ञान करवाने वाले आर्यभट अंग्रेजी नही बोलते थे।
विश्व को चिकित्सा विज्ञान हेतु शल्य चिकित्सा देने वाले आचार्य सुश्रुत अंग्रेजी नही बोलते थे
विश्व को दवा विज्ञान देने वाले आचार्य चरक अंग्रेजी नही बोलते थे
विश्व को राजनीति एवम कूटनीति विज्ञान देने वाले आचार्य चाणक्य अंग्रेजी नही बोलते थे
विश्व को ड्राई सेल देने वाले आचार्य अगस्त अंग्रेजी नही बोलते थे
विश्वको सूर्य से पृथ्वी की दूरी बताने वाली पुस्तक अंग्रेजी में नही बल्कि देवनागरिक लिप्पी में दोहकाल में लिखी गयी थी
हम यह नही कहते अंग्रेजी मत पढ़ो अंग्रेजी पढ़ो एवम ज्ञान होना चाहिए पर गुलाम नही। जिसे अंग्रेजी नही आती उसका मजाक उड़ाओ यहाँ तक कुछ अध्यापक भी उस बच्चे का मज़ाक उड़ाते हैं। अंग्रेजी को केवल औरों को समझने के लिए रखें आपस मे वार्तालाप शुद्ध हिंदी में करें तभी आपको वास्तव में गुरु भाव शिक्षक का मूल रूप ज्ञात होगा।
अंतः आपको शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान आपको अच्छा शिष्य एवं शिक्षक बनाएं।
वन्दे मातरम।
हमारे लेख में किसी प्रकार की त्रुटि एवम आपको कोई बात बुरी लगी हो तो हम क्षमा मांगते हैं।