ज्ञान का अनुभव

सात्विक वातावरण हृदय को सुधारता है। दुषित वातावरण हृदय को बिगाड़ता है।

जल और फल मे जिसे संन्तोष है वही सच्चा ब्राम्हण है।

ब्राम्हण का जीवन भोग विलास के लिए नहीं है। तप के लिए है।

जिनकी आवश्यकताये सीमित है उनके हाथ से पाप नही होता।

ज्ञान और वैराग्य विहिन भक्ति बोझिल है।

जब जीव ईश्वर के साथ प्रेम करे तब ईश्वर अपना असल  रूप बताता है। ईश्वर प्रेम बिना किस तरह अपना रूप बतावे।

बहुत ज्ञान की बाते करने की नही है। परन्तु ज्ञान का अनुभव किया जाता है।

ज्ञानी पुरूष मे ज्ञान का अभीमान कभी नही रहता है।

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