श्री कृष्ण जी कहते हैं

श्री कृष्ण जी कहते हैं :-

       मनुष्य अपने जीवन के सारे निर्णय,
     भविष्य के सुख के आधार पर करता है।।
                             परंतु
भविष्य कोई नहीं जानता, केवल कल्पना मात्र है।।
       इसका अर्थ,  हम जीवन के सारे निर्णय
       कल्पनाओं के आधार पर ही करते हैं।।
परंतु यदि हम सारे निर्णय धर्म के आधार पर करें
    तो भविष्य निश्चित रूप से सुखमय होगा ।।
     क्योंकि सारे सुखों का अाधार धर्म ही है ।।
       और धर्म मनुष्य के हृदय में बसता है ।।
             तो प्रत्येक निर्णय करने से पूर्व
  अपनी हृदय कि ध्वनि को अवश्य सुनना मित्रों
   हृदय की वाणी ही ईश्वर की वाणी होती है ।।

प्रभुकृपा का अर्थ यह नहीं,
कि जीवन में कभी दुःख ही न आए।

दुःख में भी आप दुखी न हों,
वो घड़ी कब बीत जाए,
आप को पता ही न चले...
यही है  "प्रभुकृपा"।।

ॐ नमः शिवाय
जय श्री कृष्ण

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