महत्वपूर्ण है ये वृक्ष

रुक जाओ महत्वपूर्ण है ये वृक्ष
इन्हें काटना बंद करो
वृक्ष हमें छाया देते हैं फल देते हैं
वृक्षों के बिना इस पृथ्वी की कल्पना संभव नहीं
इनका संरक्षण किया जाना चाहिए हनन नहीं हम
सभी को इनका संरक्षक बनना होगा

यह आवश्यकता किसने उत्पन्न की किसने बनाए ये नियम
तुम यह सोचते हो कि तुम शक्तिशाली हो और यह वृक्ष असहाय है
यदि तुम प्रकृति के साथ अन्याय करोगे तो प्रकृति अपना प्रचंड रूप धारण कर तुम्हें दंडित करेगी और उस दिन तुम्हें संसार में अपनी नग्नता का बोध होगा

प्रत्येक वृक्ष को उगने में वर्षों लग जाते हैं विकसित होने में अपनी पूर्णता प्राप्त करने में
उसके पश्चात वह हमारा पोषण करते हैं और निस्वार्थ भाव से हमारी सेवा करते हैं
हम स्वयं ही इनका शोषण कैसे कर सकते हैं

तुम अपने आप को मनुष्य कहते हो

मनुष्य तो विचारवान होते हैं संवेदनशील होते हैं

जो अपने स्वार्थ हेतु वनस्पति और जीव जीव-जंतुओं का शोषण करें वह कैसा मनुष्य
जो तुम कर रहे हो वह प्रकृति पर अत्याचार है और अत्याचारी सदैव केवल अत्याचारी होता है

अपनी प्राकृतिक संपदा की रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का उत्तरदायित्व है
यदि यह वृक्ष विरोध नहीं करते उलाहना नहीं देते तो
तुम सब ने यह समझ लिया कि इन्हें कष्ट नहीं होता
यदि इन वृक्षों को काटने पर रक्त नहीं निकलता तो तुम सब ने यह समझ लिया कि इन्हें पीड़ा नहीं होती
किंतु क्या कभी तुम सभी मैं यह सोचा कि यह वृक्ष काट कर तुम प्रकृति से उसकी संतान छीन लेते हो
एक वृक्ष को काटकर तुम न जाने कितने ही पक्षियों से पशुओं से उनका आश्रय छीन लेते हो

प्रकृति का आदर करो उस का सम्मान करो हनन नहीं तभी कोई राज्य समृद्धि और उन्नति को प्राप्त कर सकता है अन्यथा मात्र राजा और प्रजा का ही  नहीं अपितु आने वाली सभी पीढ़ियों का भविष्य संकट में पड़ जाएगा


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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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