सामाजिक असमानताओं का मूलाधार अज्ञानता है

जो इस संसार में पक्षपात विषमताओं और अन्याय से संघर्ष कर रहे हैं इन सभी सामाजिक असमानताओं का मूलाधार अज्ञानता है
बड़े ब्याधी ज्ञानी अपने ज्ञान के अहंकार में दिखावे और आडंबर के कारण भ्रमित होते जा रहे हैं
परोक्ष से अधिक महत्व प्रत्यक्ष को दिया जा रहा है अध्यात्म से अधिक प्राथमिकता दी जा रही है भौतिकता को
शरीर की पवित्रता पर बलधिक, मन की पवित्रता की अनिवार्यता को भुलाते जा रहे हैं
समाज, शासन और धर्म के दृष्टिकोण से जो भी कुछ वर्गों पर स्थापित है, वह जनसाधारण की अज्ञानता का लाभ उठा रहे हैं
क्योंकि तभी वह उन पर शास्त्रों वेदों और ज्ञान के अन्य स्त्रोतों से अनुपयुक्त और अनुचित व्याख्या से नियंत्रण पा सके
अपना वर्चस्व स्थापित कर सकते हैं
यदि संसार में सभी ज्ञानी हो गए और कृतज्ञ हो गए तो उन्हें अज्ञात का भय नहीं होगा उन्हें असत्य से नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा
इसलिए जिन वेदों शास्त्रों और ज्ञान का उद्देश्य इस संसार का कल्याण है उन्हें अत्याचार शोषण और अन्याय का माध्यम बनाया जा रहा है

ज्ञान का संचार
जितना तुम्ह संसार में ज्ञान का प्रकाश करोगे उतना ही संसार से अंधकार दूर होगा
जो इस संसार को समानता और अन्याय से मुक्त कराओ

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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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