भूल को स्वीकार करना सीखो

आपने देखा होगा कुछ लोगों के साथ बुरा होने पर वह दोष भगवान पर लगा देते हैं कि भगवान ने उनकी सहायता नहीं की
किंतु वह खुद की भूल को स्वीकार नहीं करते अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते
यदि केवल धर्म को महत्व दिया जाए तो संसार में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है
परिणाम स्वरुप जीवन में जब भी संकट की स्थिति उत्पन्न होती है तुम मनुष्य खुद को ईश्वर के प्रति आश्रित कर देता है
वह स्वयं कोई प्रयास नहीं करता और इस भ्रम में जीने लगता है कि भगवान आकर उसकी सहायता करेंगे
किंतु वह यह भुला देते है कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता करने का साहस एवं सामर्थ्य रखते हैं
जो अपनी परिस्थिति को परिवर्तित करने का प्रयास करते हैं
अपनी भूल को स्वीकार करने के लिए साहस की आवश्यकता है
और यदि अपनी भूल का आभास हो जाए तो प्रायश्चित क्षमा एवं अपनी गलती को सुधारना ही एकमात्र उपाय है
निर्डर और निसंकोच होकर अपनी भूल को स्वीकार करना सीखो एवं अपने जीवन को सुखमय प्रकाश की ओर ले जाओ


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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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