भक्त का प्रेम
स्मरण रहे भगवान की भक्ति में सबसे महत्वपूर्ण है भाव उनके प्रति भक्त का
प्रेम
यदि प्रेम है तो नियमों का पालन नियमों का आदर स्वत हो जाता है
किंतु जहां केवल नियम हो प्रेम ना हो वहां नियमों का उल्लंघन होना तो निश्चित है
यदि प्रेम है तो नियमों का पालन नियमों का आदर स्वत हो जाता है
किंतु जहां केवल नियम हो प्रेम ना हो वहां नियमों का उल्लंघन होना तो निश्चित है
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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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