सृष्टि कल्प के चक्र का रहस्य
सृष्टि कल्प के चक्र का रहस्य
आज हम देखेगें की यह सृष्टि चक्र। कैसे फिरता हैं । कैसे आत्मा की और पृथ्वी की गति होती हैं ।
यह सृष्टि की हिस्ट्री और जॉग्रॉफी का ज्ञान, चक्र का ज्ञान स्वयं ज्ञान के सागर परमपिता परमात्मा शिवबाबा ने दिया हैं और वही दे सकते हैं , क्योंकि वही एक हैं जो इन सभी चक्र से मुक्त हैं ।
ये दुनिया तीन विशेषता से चलती हैं । प्रकाश , ध्वनि , और गति
दुनिया में प्रकाश हैं तो हम देख सकते हैं , देख के हर कर्म कर सकते हैं ।
ध्वनि हैं तो, हमारे मन के विचार व्यक्त कर सकते हैं , सुन सकते हैं ।
गति से संसार गतिशील हैं ।
गति है तो परिवर्तन हैं । परिवर्तन सृष्टि चक्र का अटल नियम हैं , इसे कोई टाल नही सकता ।
ध्वनि हैं तो, हमारे मन के विचार व्यक्त कर सकते हैं , सुन सकते हैं ।
गति से संसार गतिशील हैं ।
गति है तो परिवर्तन हैं । परिवर्तन सृष्टि चक्र का अटल नियम हैं , इसे कोई टाल नही सकता ।
हम अब समझते हैं , दुनिया में जो भी गति होती हैं वह चक्र के रूप मे घूमती हैं ।
जैसे की
दिन - रात का चक्र , ऋतु का चक्र , जनम – पुनर्जन्म का चक्र , बीज में से पेड़ और फल और फिर वही फल मे से बीज का चक्र ।
Every thing moves in cycle .
गति तीन प्रकार की होती है , उसमें भी आतमा की गति और पृथ्वी की गति दोनों पैरेलल चलती हैं ।
आत्मा की तीन गति पहले समझते हैं ।
गति, सद्गति और दुर्गति ।
जब सतयुग और त्रेता होता हैं तब आत्मा की सद्गति होती हैं , वहां संपूर्ण सुख शांति और समृद्धि होती हैं , क्योंकि पवित्र थे और द्वापर और कलयुग तक आत्मा की धीरे धीरे दुर्गति होती हैं , विकार की वजह से । अंत में जब सब दुखी होते हैं तब परमात्मा सबको पावन बनाकर परमधाम मे वापस ले जाते हैं तब गति होती हैं अर्थात मुक्ति ।
पृथ्वी की तीन गति -
दिनरात का चक्र - इस चक्र में पृथ्वी अपनी ही धुरी पर गोल घूमती हैं और चक्र पूरा करने मे ६० घटी (24 घंटे) लगते हैं । फिर दोहराव होता रहता है जिसे एक दिन कहा , जिसमे दिन और रात होती हैं ।
ऋतु चक्र - ऋतु चक्र मे देखे तो पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ १ चक्कर लगाती हैं और वापस अपने पॉइंट पे स्थित होती हैं जिसको ३६५ दिन लगते हैं । फिर वह रिपीट होता रहता हैं । जिसे १ साल कहा जाता है ।
कल्प का चक्र - इसमें एक बात पहले समझे की सूर्य पृथ्वी से लगभग १०९-११० गुना बड़ा हैं इसलिए पृथ्वी का ३६५ दिन का एक चक्कर सिर्फ सूर्य की आस पास का एक आंशिक रेखा जितना ही भाग कवर होता हैं , पूरा सूर्य का भाग कवर नहीं होता।
Example : कोई एक छोटा चौक पीस ले और इससे कोई एक बड़े बोल के ऊपर चारो तरफ लकीर खिचे । इससे सिर्फ बोल का एक लकीर जितना ही भाग कवर होता हैं , पूरा बोल नही, अर्थात वो लकीर को छोड़ के दूसरा बहू भाग बाकी रहता हैं ।
जब ३६५ दिन मे , सूर्य का एक चक्कर पूरा होता हैं , तब पृथ्वी का orbit angle change होता हैं और पृथ्वी उस orbit angle की दिशा मे दूसरा चक्कर लगाना शुरू करती हैं । इस तरह हर वर्ष के बाद एंगल बदलता हैं और पृथ्वी का चक्कर लगता रहेता हैं , पृथ्वी को पूरे सूर्य को गति करने में ५००० साल लगते हैं । जिसे एक कल्प का चक्र कहते हैं । यह सबसे बड़ा चक्र हैं ।
५००० साल के कल्प मे चार युग होते हैं । प्रत्येक युग के अंत तक आत्मा और प्रकृति की गति में पैरेलल चेंज होते रहते हैं ।
कल्प में चार युग हैं । सतयुग , त्रेता , द्वापर और कलयुग ।
प्रत्येक युग का समय हे - १२५० वर्ष। चार युग का टोटल समय हे ५००० वर्ष ।
पृथ्वी जब अपनी गति द्वारा सूर्य को २५% कवर करता हैं तब उसका समय १२५० वर्ष लगता हैं और एक युग सतयुग पूरा होता हैं । जब ५०% कवर करता हैं उसका समय लगता हे २५०० साल और सतयुग और त्रेता दोनों युग कवर होते हैं । जिसमे आत्मा सतोप्रधान और सतो अवस्था में होती हैं , जिसको आत्मा की सद्गति कहा।
जब 75 % कवर हो जाता हे तब द्वापर पूरा होता हैं , जिसका समय 3750 वर्ष लगते हैं और ५००० साल में चार युग का समय समाप्त होता हैं साथ में पृथ्वी का एक कल्प का चक्र।
इन में आत्मा द्वापर से लेकर कलयुग अंत तक विकार की वजह से संपूर्ण दुखी हो जाती है , तमोप्रधान हो जाती हैं जिसे दुर्गति कहा।
कल्प की आयु 5000 साल हैं कैसे स्वीकार करे ?
अनेक धर्म के पवित्र धर्म पुस्तक में कही ना कही डायरेक्ट और इन डायरेक्ट 5000 साल का, कल्प का वर्णन हैं ।
जैसे की हिन्दू धर्म में महाभारत हुये 5000 साल हो चूके हैं , और उसमें लिखा है की जिस समय घर घर में महाभारत होगा उस समय समज लेना की महाभारत का पुनः वह काल आ गया जिसके बात सतयुग आएगा।
क्रिश्चियन धर्म में बाइबल में वर्णित हैं की क्राइस्ट के 3000 साल पूर्व भारत स्वर्ग था और नोस्त्रदेमस की भविष्य वाणी थी की 2000 साल के बाद भारत फिर स्वर्ग बनेगा, टोटल 5000 साल हुए ।
फिर मायन कैलंडर के हिसाब से उनका 5000 साल का कैलंडर पूर्ण होता हैं फिर उसका रिपीट होता हैं ।
इस्लाम धर्म के पवित्र पुस्तक में वर्णन किया हैं की 5000 साल में एक बार क़यामत आती हैं और यह वही क़यामत का समय चल रहा हैं ।
तो यहाँ पे आध्यात्मिक दृष्टि कोण से देखे तो भी कल्प का चक्र 5000 साल का स्पष्ट होता हैं ।
5000 साल के बाद क्या ?
हमने एक बात जानी की आत्मा और पृथ्वी की गति चक्र में होती हैं, रीसायकल होती हैं । वैसे कल्प का चक्र भी रीसायकल होता रहते हैं कलयुग के बाद सतयुग आता हैं ।
कोई भी नयी चीज पुरानी अपने आप होती हे लेकिन पुरानी से नयी बनानी पड़ती हैं । पानी ऊपर से नीचे स्वतः ही आता हैं , लेकिन नीचे से ऊपर चढ़ाना पड़ता हैं ।
वैसे ही जब आतमा सतयुग में थे तो सतोप्रधन थे और कलयुग आते आते सतो से रजो और तमो प्रधान बने । मतलब जो संपूर्ण पवित्र दुनिया थी अब पतित दुनिया बन चुकी हैं , अब उसको पावन बनाना पड़ता हैं ।
कौन बनाए ...कैसे बनाए..कैसे होगा परिवर्तन ?
परिवर्तन का युग संगमयुग – परमपिता परमात्मा भगवान् द्वारा
कलयुग का अंत और सतयुग की शुरुआत उसके बिच के समय को संगम युग कहते हैं । जिसका समय १०० साल का होता हैं ।
इस संगम युग में परमपिता परमात्मा का दिव्य अवतरण एक साधारण तन में होता हैं जो कही न कही गीता और शास्त्र में वर्णित हैं , मुख्य बात उनका अवतरण हो चुका हैं । यह वही वेला हैं जहा परमात्मा ज्ञान और सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं । इस ज्ञान और राजयोग से आत्मा का परिवर्तन होता हैं । आत्मा पावन बनती हैं ।
राजयोग , योग अर्थात कनेक्शन
जैसे लोहा पारस के कनेक्शन में आता हैं तो लोहा सुवर्ण बन जाता हैं , ठीक वैसे ही जब हम आत्मा अपने परमपिता परमात्मा से योग लगाते हैं तो तमो प्रधान से सतोप्रधान बन जाते हैं , दुनिया पतित से पावन बन जाती हैं । आत्मा का पूर्ण रूप से परिवर्तन होता हैं । और यह आत्मा का परिवर्तन हो रहा हैं ।
जैसे लोहा पारस के कनेक्शन में आता हैं तो लोहा सुवर्ण बन जाता हैं , ठीक वैसे ही जब हम आत्मा अपने परमपिता परमात्मा से योग लगाते हैं तो तमो प्रधान से सतोप्रधान बन जाते हैं , दुनिया पतित से पावन बन जाती हैं । आत्मा का पूर्ण रूप से परिवर्तन होता हैं । और यह आत्मा का परिवर्तन हो रहा हैं ।
साथ साथ तिन और प्रकार से परिवर्तन हो रहा हैं
गृह युद्ध – Social war जिसमें आतंकवाद, लड़ाई , कोमवाद सब हो रहा हैं, हम देख रहे हैं ।
कुदरती आपदा – Natural calamities आज हम देख रहे हैं भूकंप, बाड , अतिवृष्टि, अनावृष्टि ,प्रकृति अन बैलेंस हो गयी हैं , ग्लोबल वोर्मींग ये सब परिवर्तन का हिस्सा हैं जो हो रहा हैं ।
परमाणु युद्ध– Atomic war आज साइन्स के पास इतने अणु - परमाणु बम हैं जिसके प्रयोग मात्र से ही दुनिया का काफी हिस्सा विनाश कर सकते हे। एक देश प्रयोग करेगा तो, दूसरा भी रुकेगा नही, जिससे multimillion temperature create होगा और उससे जितने भी बर्फीले विस्तार हे , वह चारो तरफ की गर्मी से कम समय में पिघलने लगेगें और दुनिया में चारो और पानी ही पानी हो जाएगा और high temperature की वजह से विश्व की धरती नरम होने लगेगी और पानी के अन्दर चली जायेगी।
लेकिन भारत एक ऐसा देश रहेगा जो सेफ रहेगा एटॉमिक वोर से , क्युकी भारत अविनाशी खंड हैं , देवी भूमि हैं , जिसका विनाश कभी नही होता हैं और भौगोलिक दृष्टी से देखे तो, भारत की भूमि का स्तर ऊपर की और हैं । अगर पूरी दुनिया में चारो ओर पानी ही पानी हो जाए तो भी भारत पूरा नही डूबेगा।
और साथ साथ अनेक आत्माओं जो योग से संपूर्ण पावन बन जाएगी तो उनके शक्तिशाली पवित्र vibration और परमपिता परमात्मा के vibration भारत मे एक छत्र छाया बन जायेगी और भारत की भूमि परमात्मा की पवित्रता की शक्ति से चार्ज होने लगेगी , अर्थात भूमि भी तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेगी।
और साथ साथ अनेक आत्माओं जो योग से संपूर्ण पावन बन जाएगी तो उनके शक्तिशाली पवित्र vibration और परमपिता परमात्मा के vibration भारत मे एक छत्र छाया बन जायेगी और भारत की भूमि परमात्मा की पवित्रता की शक्ति से चार्ज होने लगेगी , अर्थात भूमि भी तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेगी।
जब योग से आत्मा सतोप्रधान और भूमि भी सतोप्रधान बन जायेगी, तब शुरू होगा सतयुग, जहा संपूर्ण सुख शांति और समृद्धि होगी
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धर्माचार्य - मनुज देव भारद्वाज, मुम्बई (09814102666)
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