अति सर्वत्र वर्जयेत्

अति रूपेण वै सीता, चातिगर्वेण रावणः ।
अतिदानाद् बलिर्बद्धो, ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।

अत्यधिक सुन्दरता के कारण सीता हरण हुआ ।
अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ ।
अत्यधिक दान देने के कारण रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा ।
अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए ।
अति कभी भी अच्छी नहीं होती फिर वह किसी भी कारण से हो ।

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🔱 हर हर महादेव 🌺 जय श्री राम 🚩

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