रामायण हमे सिखाती हैं की भाग्य से बड़ा कोई नही

रामायण हमे सिखाती हैं की भाग्य से बड़ा कोई नही...

रामचंद्र जी को चक्रवर्ती राजा के पुत्र होने के बाद भी जीवन भर कष्ट मिला...
राजगद्दी छूटी....
वनवास मिला....
घर परिवार सब छूट गया....
राज्य एवं प्रजा सब छूट गया....
पिता के अंतिम दर्शन भी नही हुए....
पिता को मुखाग्नि तक नही दे सके....
नंगे पांव जंगल जंगल भटकते रहे....
पत्नी वियोग मिला....
रावण से युद्ध करना पड़ा....
पत्नी की अग्निपरीक्षा लेनी पड़ी...
पुत्र सुख भी नही मिला....
पत्नी का त्याग भी करना पड़ा....
ईश्वर होते हुए भी एक मानव की तरह दुःख भोगने पड़े...

और भाग्य की विडंबना देखिए,,,

कलयुग में भगवान श्री राम का मंदिर तोड़ दिया गया....
कई सौ साल बाद जब मस्जिद के नीचे मंदिर मिला तो....
कई वर्ष लग गए न्यायालय में जन्मस्थान को पाने के लिए....
जन्मस्थान प्रमाणित करने में पूरे भारत को कई वर्ष लग गए....

अब जब प्रमाणित हुआ और आज अयोध्या में बहुत बड़ा आयोजन होना था । रामनवमी के दिन मंदिर की पहली ईंट रखनी थी, लेकिन भाग्य क़ो वो भी स्वीकार नही था।

आज कितना बड़ा आयोजन होता लेकिन Lockdown की वजह से सब स्थगित हों गया ।।
प्रभु श्रीराम जी का जीवन पहले भी बहुत कठिन था, आज भी है ।।

हमारा संघर्ष तो प्रभु, आपके सामने कुछ भी नही..
आपको कोटि कोटि नमन... 🙏🙏🚩

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