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Showing posts from September, 2017

प्रभु पर विश्वास

"प्रभु पर विश्वास" एक आदमी की नई-नई शादी हुई और वो अपनी पत्नि के साथ वापिस आ रहे थे !! रास्ते में वो दोनों एक बडी झील को नाव के द्वारा पार कर रहे थे, तभी अचानक एक भयंकर तूफ़ान आ गया !! व...

आत्मषट्कम्, निर्वाणषट्कम्, शिवोऽहं शिवोऽहम् (आदि शंकराचार्य) - Sanskrit-Hindi-English

मनोबुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहं न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे । न च व्योमभूमिः न तेजो न वायुः चिदानंदरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ १॥   न तो मन हूँ ,न बुद्धि ,न अहंकार ,न चित्त , न पञ्च इन्द्रियां ( नेत्र, कान, जीभ, त्वचा, नासिका )  और न पञ्च तत्व (आकाश, भूमि, जल, वायु , अग्नि ) हूँ मै सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ   I am not the intellect, ego, mind . Neither am I hearing, taste, smell, sight . Nor am I space, earth, light, air, field of consciousness. I am the pure consciousness of bliss - I am Shiva . Shiva am I  -  - -  न च प्राणसंज्ञो न वै पंचवायुः न वा सप्तधातुर्न वा पंचकोशः । न वाक् पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानंदरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ २॥    न तो प्राण उर्जा हूँ , न पञ्च वायु हूँ ,  न सप्त धातुएं हूँ , न पञ्च कोष हूँ ,  न सृष्टी , न प्रलय , न गति , न वाणी और न ही श्रवण हूँ ,  मै सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी शिव हूँ    I am not prana, nor the fi...

संख्या 108 का महत्व

संख्या 108 का महत्व संख्या 108 का महत्व: 108 का रहस्य ! (The Mystery of 108) वेदान्त में एक मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 का उल्लेख मिलता है जिसका हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों (वैज्ञानिकों) ...

दान पात्र

दान पात्र चार प्रकार का दान होता है। एक तामस दान, एक राजस दान, एक सात्विक दान और एक दिव्य दान, गुणातीत दान। निर्गुण दान कहते हैं। अनेक नाम हैं। अर्थात् पैसा तो वही है सामान तो व...

गरुड़जी की जिज्ञासा

गरुड़जी की जिज्ञासा एक बार भगवान विष्णु गरुड़जी पर सवार होकर कैलाश पर्वत पर जा रहे थे। रास्ते में गरुड़जी ने देखा कि एक ही दरवाजे पर दो बाराते ठहरी थी। मामला उनके समझ में न...

पूजा-पद्धति

कौन कहता है कि भारत (हिन्दुओं) में सर्वमान्य शास्त्र नहीं, कोई निश्चित पूजा-पद्धति नहीं। वह यह गीता  है। ~ 'गीता ' १६/२३ में- जो पुरुष उपर्युक्त शास्त्र विधि त्याग कर [ वह शास्त्...